मंडियों में सौदा पत्रक के माध्यम से होने वाली खरीद-फरोख्त पर सरकार किसान को कोई आर्थिक मदद नहीं करेगी। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए हर किसान को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा। इसके साथ ही आधार नंबर की अनिवार्यता भी रहेगी, ताकि जिससे फसल खरीदी गई है, उसकी जरूरत पड़ने पर शिनाख्त की जा सके। खरीदी सीजन के दौरान हर दिन उपज के मूल्य का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा।PM मोदी जापान के शिंजो आबे को ले जाएंगे गुजरात, रखेंगे बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव
सूत्रों ने बताया कि भावांतर भुगतान योजना में जितनी भी राशि खर्च होगी, उसका इंतजाम मूल्य स्थिरीकरण कोष में जमा रकम से किया जाएगा। सरकार ने मंडी बोर्ड और राज्य के खजाने से एक हजार करोड़ रुपए का कोष बनाया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर योजना में घोषित फसल की बिक्री होने पर मॉडल रेट से अंतर की राशि किसान को डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) की जाएगी।
सौदा पत्रक जैसी चीजें भुगतान के लिए मान्य नहीं होंगी। सिर्फ उन्हीं दस्तावेजों को भुगतान के लिए स्वीकार किया जाएगा, जो मंडी से अधिकृत तौर पर जारी होंगे। फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सौदा पत्रक से होने वाली खरीद-फरोख्त को योजना से दूर रखा गया है। वहीं हर किसान को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा। आधारके साथ मोबाइल नंबर देना भी अनिवार्य किया जाएगा। मंडी सचिव इसे कृषि विभाग द्वारा तैयार किए जाने वाले पोर्टल पर दर्ज करेंगे।
कमेटी में रहेंगे विधायक
सरकार ने योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का फैसला किया है। इसमें विधायक विशेष आमंत्रित रहेंगे। प्रभारी मंत्री जिन चार किसान के नाम कमेटी के लिए देंगे, उन्हें विशेष आमंत्रित रखा जाएगा। किसी प्रकार का विवाद होने पर कमेटी ही निराकरण करेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी रहेगी। योजना से जुड़े सारे फैसले करने का अधिकार कृषि कैबिनेट को रहेगा।