यचिका में कृषि नीति और सूखे व प्राकृतिक आपदा के कारण होने वाली फसलों की क्षति पर किसानों को मिलने वाले मुआवजे की नीति में व्यापक सुधार करने की गुहार की गई है। वास्तव में याचिका में गुजरात सरकार को उन 692 किसानों के परिवारवालों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की गुहार की गई थी जिन्होंने वर्ष जनवरी 2003 से अक्टूबर 2012 के बीच खुदकुशी की थी।
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उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक के बाद एक, कई रिपोर्ट विभिन्न सरकारों को दी गई हैं लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने गुहार की कि इस मामले में केंद्र और सभी राज्य सरकारों व केंद्रशासित प्रदेशों को भी प्रतिवादी बनाने की इजाजत दी जाए।
वरिष्ठ वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि यह मसला सभी राज्यों के किसानों से जुड़ा हुआ है। पीठ ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि इस मसले पर कुछ करने की जरूरत है। खासकर जब प्राकृतिक आपदाएं आती हैं।
पीठ ने कहा कि यह कुछ एक किसान से जुड़ा मसला नहीं है। लिहाजा हमारा मानना है कि इसे लेकर कोई नीति होनी चाहिए। साथ ही पीठ ने कहा कि कर्ज की अदायगी भी एक अहम पहलू है। लिहाजा शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र, सभी राज्यों और आरबीआई को प्रतिवादी बना दिया।