भारत को दुनियाभर में बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) का हब कहा जाता है लेकिन यहां काम करने वाले भारतीयों को नस्लभेदी टिप्पणियों और गालियों का सामना करना पड़ता है। इससे ज्यादातर लोग तनाव में रहते हैं।
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बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सेंटर्स इन इंडिया के सर्वे के अनुसार, अमेरिकी तो उन्हें नौकरी चोरी करने वाला भी कहते हैं। ये मामले ज्यादातर उन कॉल सेंटर में होता है जो विदेश फोन करते हैं और टेलीमार्केटिंग करते हैं। इस रिपोर्ट को ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंट की श्वेता राजन-रेनकिन ने तैयार किया है। 2010 से 2012 तक संचालित कॉल सेंटर पर आधारित यह सर्वे इस महीने की शुरुआत में जारी किया गया।
उनके अनुसार, पश्चिमी देशों के लोगों का रवैया भारतीय बीपीओ कर्मियों को लेकर बहुत रुखा रहता है। कॉल करने वाले को भारतीय जानते ही ये लोग उसे भला-बुरा बोलते हैं। कई बार इन्हें नस्लभेदी टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है।
श्वेता ने बताया कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद और ब्रेग्जिट तथा अमेरिका में नस्लभेदी टिप्पणियां काफी बढ़ गई हैं। सर्वे में शामिल सभी कॉल सेंटर्स ने माना कि उन्हें कभी न कभी इसका सामना करना पड़ा है। यही कारण है कि कॉल सेंटर के कर्मचारी तनाव में रहते हैं।
वॉशरूम जाकर रोती थी
सर्वे में शामिल हैदराबाद की युवती का जिक्र कर श्वेता ने बताया कि नस्ली टिप्पणी और गालियां सुनने के बाद वह वॉशरूम जाती थी और वहां रोती रहती थी लेकिन इसके बाद फिर वापस आकर विदेशी कस्टमर को फोन करने बैठ जाती थी।
स्वास्थ्य पर असर पड़ता है
गुड़गांव के कोलंबिया एशिया अस्पताल की डॉक्टर श्वेता शर्मा का कहना है कि नस्ली टिप्पणियों का स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ता है। लोग तनाव में चलते जाते हैं और वजन बढ़ जाती है जो कई बीमारियों की वजह बनता है।
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