केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत के बोल बिगड़ते जा रहे हैं। ये दोनों नेता अब सीधे केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। इन दोनों किसान नेताओं के बीते कुछ दिनों के बयान जानने के बाद ऐसा लग रहा है कि अब ये केंद्र सरकार से आमने-सामने की लड़ाई लड़ने जैसा मन बना चुके हैं, इसी वजह से ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। एक निजी टीवी चैनल से बातचीत करते हुए राकेश टिकैत तो यहां तक बोल गए कि लगता है अब देश में युद्ध होगा।
उधर किसान नेता और भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इंटरनेट मीडिया पर कुछ समाचार पत्रों की कटिंग को शेयर करते हुए लिखा कि सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करे अन्यथा नतीज़े भुगतने के लिए तैयार रहे। इससे पहले राकेश टिकैत ने 22 जुलाई को संसद भवन पर प्रदर्शन के लिए पोस्टर जारी करके एक बार फिर से दिल्ली पुलिस और सरकार को सुरक्षा के लिए तैयारी पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। किसान संसद भवन तक न पहुंचे इसके लिए रणनीति बनाई जा रही है।
शनिवार को सिसौली में आयोजित पंचायत में चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को देख लिया। जब इनकी सरकार आती है तो ये किसानों की नहीं सुनते इसीलिए आगामी विधानसभा चुनाव में भाकियू अपने उम्मीदवार उतारेगी। पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कालेज मैदान में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर महापंचायत होगी, आगे के निर्णय वहीं लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के जुल्म के खिलाफ किसानों को संगठित रहना होगा। यह आखिरी लड़ाई हम नहीं लड़ पाए तो किसान खत्म हो जाएंगे। भाजपा वाले हम पर हावी होने की कोशिश में हैं।
सपा सरकार के दौरान शामली में जब हुकुम सिंह और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, हमने शामली जाकर उनकी मदद की थी।पंचायत में मौजूद देशखाप चौधरी सुरेंद्र सिंह, लाटियान खाप के वीरेंद्र सिंह, कालखंडे के संजय कालखंडे और बत्तीसा खाप से शोकेंद्र सिंह ने पांच सितंबर की महापंचायत का समर्थन किया। गाजीपुर बार्डर से पंजाब के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल भी पंचायत में पहुंचा था।
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