उत्तराखंड कैडर की आईपीएस अधिकारी अंजू गुप्ता की रॉ में स्थाई रूप से पद पर बने रहने की अपील केंद्र ने खारिज कर दी है। केंद्र की ओर से कहा गया है कि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग डिपार्टमेंट (R&AW) में ज्वॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर पहले ही कई अधिकारियों को एक्सटेंशन ग्रांट की जा चुकी है, इसलिए आईपीएस अंजू की अपील नहीं मानी नहीं जा सकती।मार्केटिंग में PM मोदी ने कांग्रेस को हराया: पृथ्वीराज चव्हाण
दरअसल, अधिकारी अंजू 1992 बाबरी विध्वंस के मामले से जुड़े होने के चलते सुर्खियों में आई थीं। वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ अहम गवाह बनीं थी। उन्होंने राय बरेली कोर्ट में गवाही दी थी कि आडवाणी ने बाबरी विध्वंस से पहले सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए भाषण दिया था।
गुप्ता ने यही बयान फिर सीबीआई और लिब्राहन आयोग के सामने भी दिया था। गुप्ता 6 दिसंबर 1992 में फैजाबाद पुलिस में एएसपी बना दी गईं थी, साथ ही उन्हें अयोध्या में वीवीआईपी सुरक्षा पर तैनात किया गया था। बता दें कि गुप्ता रॉ में वर्ष 2009 से प्रतिनियुक्ति पर हैं।
वह कैबिनेट सचिवालय की डायरेक्टर रहीं और बाद में उन्हें ज्वॉइंट सेक्रेटरी रैंक पर प्रमोट कर दिया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने यूएन में भी काम किया है। गुप्ता ने अपने बयान में कथित तौर पर कहा था कि आडवाणी ने कहा था कि मंदिर उसी 2.7 एकड़ पर बनाया जाएगा।