दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी और लूट से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल इस कमेटी के मुखिया होंगे. इनका साथ अन्य 8 एक्सपर्ट भी देंगे. यह कमेटी निजी अस्पतालों की तमाम शिकायतों पर एक डिटेल रिपोर्ट बनाकर 31 दिसंबर तक सरकार को सौंपेगी.
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स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक सरकार को निजी अस्पतालों के अतिरिक्त बिल, महंगी दवाएं और इलाज के अलावा लापरवाही की शिकायतें मिल रही हैं. जैन ने कहा कि मरीजों पर अस्पताल से दवाएं खरीदने का दवाब बनाया जाता है, जिसमें लाभ मार्जिन कई गुना होता है.
कमेटी में शामिल 9 सदस्य :
1. डॉ. कीर्ति भूषण, डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ (DGHS)
2. डॉ. केके अग्रवाल, आईएमए अध्यक्ष
3. डॉ. आरके गुप्ता, डीएमए (पूर्व अध्यक्ष)
4. डॉ. अरुण गुप्ता, डीएमसी अध्यक्ष
5. डॉ. पुनीता महाजन, क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा निदेशक (उत्तरी दिल्ली)
6. डॉ. अशोक कुमार, एडिशनल डायरेक्टर (DGEHS)
7. डॉ. मोनालीसा बोराह, MS-NH
8. डॉ. चंदर प्रकाश, दिल्ली वोलुंटरी हॉस्पीटल फोरम के अध्यक्ष
9. डॉ. आरएन दास, DAK & EWS
केजरीवाल सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार की लिस्ट में सिर्फ 466 दवाओं को शामिल किया गया है, लेकिन इन सस्ती दवाओं को डॉक्टर पर्चे पर नहीं लिखते हैं. सत्येंद्र जैन ने उदाहरण देते हुए बताया कि 6 रुपये की दवा को 10 रुपये तक बेचा जाना गलत नहीं है, लेकिन यही दावा अगर 75 रुपये में बेची जाए तो सरासर गलत होगा.
इसके अलावा निजी अस्पताल इलाज के लिए अगर फीस 1 लाख बता रहे हैं, लेकिन बिल 4 लाख का दे रहे हैं, तब ऐसी स्तिथि में अस्पताल को डिटेल बिल देना होगा. सरकार ने कमेटी को मरीज के इलाज की शुरुआत से अंत तक आने वाले खर्चे पर भी रिपोर्ट देने को कहा है, जिससे यह तय किया जा सके कि निजी अस्पताल ने मनमानी तो नहीं की है.
सरकार की 9 सदस्य वाली ‘एक्सपर्ट कमिटी’ तमाम शिकायतों और सुझावों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करेगी. हालांकि निजी अस्पतालों पर कार्रवाई या लगाम के लिए सरकार को ‘दिल्ली हेल्थ एक्ट’ में बदलाव करने होंगे. सत्येंद्र जैन का कहना है कि एक्ट में बदलाव अगले दो महीने में ही संभव है.
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