किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डाक्टरों की टीम ने डायलिसिस पर रहते हुए एक महिला का सामान्य प्रसव कराने में सफलता हासिल की है। डाक्टरों का दावा है कि प्रदेश में इस तरह का यह पहला मामला है। फर्रुखाबाद निवासी गर्भवती निधि (23 वर्ष) गंभीर अवस्था में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग क्वीन मैरी में एक महीने से वेंटिलेटर पर थी। शिशु ने पेट में ही दम तोड़ दिया था। गुर्दे फेल हो चुके थे। फेफड़े ठीक से काम नहीं कर रहे थे। हालांकि, डाक्टरों की टीम ने सामान्य प्रसव कराकर महिला को नई जिंदगी दी है।
केजीएमयू प्रवक्ता डा.सुधीर सिंह के मुताबिक गर्भवती के शरीर में एसिड का निर्माण अधिक हो रहा था। चिकित्सा विज्ञान में इसे मेटाबालिक एसिडोसिस कहते हैं। तमाम दिक्कतों की वजह से शिशु की पेट में ही मृत्यु हो चुकी थी। उसे वेंटिलेटर व वैसोप्रेसर सपोर्ट पर रखा गया। गुर्दे फेल होने से मरीज की लगातार डायलिसिस की जा रही थी। इसी दौरान डाक्टरों ने सामान्य प्रसव कराने का फैसला किया। निधि ने सामान्य प्रसव के माध्यम से मृत शिशु को जन्म दिया। क्वीनमेरी की प्रवक्ता डा. रेखा सचान ने बताया कि प्रसव के बाद गर्भवती की तबीयत में सुधार शुरू हुआ और गुर्दों ने भी काम करना शुरू कर दिया। अब उसे छुट्टी दे दी गई है।
टीम में शामिल रहे ये डाक्टरः क्वीनमेरी की विभागाध्यक्ष डा. उमा सिंह, डा. रेखा सचान, डा. नम्रता, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. वीरेंद्र आतम, डा. मेघावी गौतम की देख-रेख में मरीज का इलाज हुआ। क्रिटिकल केयर विभाग के अध्यक्ष डा. अविनाश अग्रवाल, डा. आर्मिन, डा. नबील, डा. सुलेखा, डा. सुहैल, डा. सौमित्र, डा. साई सरन, डा.नितिन राय टीम में शामिल रहे।