क्यूबा के कैथलिक चर्च ने लोगों से अपील की है कि वे देश के प्रस्तावित नए संविधान में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाली योजना को खारिज करें. चर्च ने इसे समृद्ध देशों द्वारा थोपा गया ‘‘वैचारिक उपनिवेशवाद” बताया. सेंटियागो डे क्यूबा के आर्कबिशप डियोनिसियो गार्सिया ने क्यूबा वासियों से कहा कि वे “अफसोसजनक परिणामों” से डरें और ‘‘प्राकृतिक व्यवस्था को नजरअंदाज न करें.” 
संविधान में किया गया संशोधन
पूर्व राष्ट्रपति राउल कास्त्रो की बेटी मरीला कास्त्रो के नेतृत्व में नए संविधान के बदलावों में एक प्रावधान शामिल किया गया है जो विवाह को “एक महिला और एक पुरुष” के बीच बताने की बजाए “दो लोगों” के बीच परिभाषित करता है. गार्सिया ने कहा “ये विचार” क्यूबा की संस्कृति से बाहर के हैं और ताकतवर देशों के “सांस्कृतिक साम्राज्यवाद” से पैदा होते है जो वैश्वीकरण के प्रभाव का इस्तेमाल “दूसरों की संस्कृति को अयोग्य बताते हुए एक ऐसी एकरूपीय संस्कृति बनाने में करते हैं जो उनके मापदंडों को स्वीकारें और अपनाए.’’
नए कानून पर लगी मुहर
क्यूबा में वर्तमान में लागू 1976 के संविधान के स्थान पर लागू करने के लिए एक नये संविधान पर संसद ने मुहर लगा दी है. इसे सार्वजनिक चर्चा के लिए रख दिया गया है.
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