बढ़ते प्रदूषण के दौर में अक्सर बीमार होने पर हम गोली या फिर केप्स्यूल लेते है लेकिन आपकी फेवरेट गोली को लेकर मन में हमेशा सवाल रहता कि ये प्लास्टिक जैसा है क्या. और अगर प्लास्टिक है तो शरीर के अंदर घुलता कैसे है. यही आपमें से कई लोगों का डाउट होगा. तो आज इस ‘प्लास्टिक’ के बारे में जानेंगे जो शरीर में घुल जाता है और तबीयत भी ठीक हो जाती है. कैप्सूल अपने आप में दवा नहीं होती है ये एक तरह की डिब्बी है. इतना आप जानते ही है कि दवा अंदर होती है, अब जानिए कैप्सूल यानी कि उस दवा के ऊपर वाला छिलका किससे बनता है…
सॉफ्ट कैप्सूल :- नाम की तरह ही ये सॉफ्ट होती है. ये एक तरह का जेल होता है. दवा इस जेल के लेयर के अंदर होती है. और ये जेल कई तरह से बन सकता है, लेकिन आमतौर पर Cod liver oil इस्तेमाल होता है. जो कि कॉड मछली की एक प्रजाति है.
Hard gelatin capsule -यही वो कैप्सूल है, जो लोगों को कंफ्यूज़ करता है कि वो शायद प्लास्टिक खा रहे हैं. जानकारी के लिए बता दे कि इस कैप्सूल में लगने वाला मैटेरियल जिलेटिन होता है जो एक तरह का पॉलिमर ही है, जिलेटिन वो प्रोटीन होता है. जो हमारे शरीर में भी पाया जाता है. लेकिन कैप्सूल में काम आने वाला प्रोटीन जानवरों के शरीर से बनता है. आप को बता दे कि मरने के बाद जानवरों की हड्डियों और चमड़ी को डिहाइड्रेट करने पर जिलेटिन मिलता है.
सॉफ्ट जिलेटिन कैप्सूल- ये वो सॉफ्ट कैप्सूल होते हैं, जिनमें जेल के लिए जिलेटिन का इस्तेमाल होता है.मीट और बीफ के कारखानों में हड्डियां और चमड़ी एक बाय-प्रॉडक्ट के तौर पर निकलती हैं. इसलिए जिलेटिन के लिए कच्चा माल आसानी से मिल जाता है और ये सस्ता होता है.
‘वेज’ कैप्सूल-हार्ड जिलेटिन कैप्सूल पूरी तरह से सुरक्षित होता है. लेकिन कुछ वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि एनिमल प्रोटीन होने की वजह से कैप्सूल उतना स्टेबल नहीं रहता. इसकी जगह HPMC को इस्तेमाल किया जा सकता है. ये सेल्यूलोस पेड़-पौधों में पाया जाता है. HPMC कैप्सूल जिलेटिन वाले कैप्सूल के मुकाबले 2 से 3 गुना महंगा होता है. इन्हें बनाने की तकनीक सबके पास नहीं है और फिलहाल इनका बड़े पैमाने पर निर्माण शुरू ही हुआ है.
तो दोस्तों ये थी वो जानकारी जिसे जानकार शायद आप को अब कैप्सूल लेते वक्त घिन आ जाए लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है बिना दवाई के ठीक होना भी संभव नही है.