कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी बात बता रहे हैं कि जानकर आप भी आश्चर्य में पड़ जाएंगे।
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यात्रा पर गए एक तीर्थयात्री को वहां भगवान शिव की कृपा से एक ऐसी चीज मिली, जिसे वह अब साक्षात शिव का प्रसाद मान रहे हैं। जिसने भी यह चीज देखी उसे जानकार यकीन ही नहीं हुआ।
कैलाश मानसरोवर यात्रा से यहां लौटने के बाद हरिशरणम जन के प्रमुख स्वामी राम गोविंद दास भाई ने यात्रा के दौरान के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि वह चार मई को नेपाल के रास्ते हवाई मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए थे। सिगात्से, सांगा से होकर वह बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर मानसरोवर गए।
पूरा मार्ग बर्फ से ढका था।उन्होंने कहा कि वे भगवान को पीतांबर चढ़ाने गए थे, लेकिन वहां उन्हें बर्फीले स्थान पर मोतियों की एक माला भगवान के प्रसाद के रूप में आश्चर्यजनक ढंग से मिल गई।
जब वह माला मिली तो लगा मानों भगवान शिव ने उन्हें खुद यह दी हो। वे इस माला को पाकर बेहद खुश है। उनका मानना है कि यह भगवान शिव का प्रसाद है इसे वे हमेशा अपने पास रखेंगे।
बता दें कि कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है। मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है।कैलाश पर्वत पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं जिसके ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है, इसकी बाहरी परिधि 52 किमी है।
मानसरोवर पहाड़ों से घीरी झील है जो पुराणों में ‘क्षीर सागर’ के नाम से वर्णित है। क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं। यह क्षीर सागर विष्णु का अस्थाई निवास है, जबकि हिन्द महासागर स्थाई।
ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।