कैलाश-मानसरोवर यात्रा रोके जाने पर विश्व हिंदू परिषद गुस्से में है. विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि मानसरोवर यात्रियों को लौटाने वाले चीन की वस्तुओं का बहिष्कार होना चाहिए. कैलाश-मानसरोवर यात्रा को चीन द्वारा रोके जाने पर विश्व हिन्दू परिषद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
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उसका कहना है कि नाथू ला बॉर्डर से जाने वाली कैलाश-मानसरोवर यात्रा को चीन द्वारा रोके जाने से सभी स्तब्ध थे. अभी तक लगता था कि इसके पीछे शायद प्राकृतिक विपदा ही मुख्य कारण रही होगी. परन्तु चीनी अधिकारियों द्वारा किए गए पत्र व्यवहार तथा जारी बयानों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस महत्वपूर्ण यात्रा को रोकने का एक मात्र कारण क्षेत्रीय विस्तार की अमिट भूख व दादागीरी ही है.
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चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की अपील
विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री सुरेन्द्र जैन ने चीन की इस दादागीरी की आलोचना करते हुए जहां देश की जनता से चीनी वस्तुओं के बहिस्कार की अपील की है, वहीं भारत सरकार से जमीन के भूखे चीन के साथ इस मामले को गंभीरता से उठाने को भी कहा है. उन्होंने कहा कि तिब्बत पर अबैध कब्जा जमाने के बाद ड्रैगन की भूख और बढ़ गई, इसलिए उसने न सिर्फ भारत के अरुणाचल प्रदेश समेत कई क्षेत्रों पर दावा कर रखा है बल्कि उन क्षेत्रों के विकास में टांग भी अड़ाता रहता है. वह इन क्षेत्रों को विकसित होते नहीं देखना चाहता. भूपेन हजारिका पुल बनने के बाद तो वह बुरी तरह बौखला गया. सिक्कम में दो भारतीय बंकर तोड़ना इसी बौखलाहट का प्रतीक है.
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विहिप के महामंत्री ने कहा कि कैलाश-मानसरोवर की यात्रा पर रोक लगा कर तो उसने सभी सीमाएं लांघ दी हैं. उसने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि सिक्कम के कुछ स्थानों पर उसका अधिकार स्वीकार किए बिना वह इस यात्रा को प्रारम्भ नहीं होने देगा. विश्व हिन्दू परिषद चीन की इस दादागिरी की कठोर शब्दों में आलोचना करती है. चीन के मना करने पर वापस आए यात्री किस परेशानी से गुजरे होंगे, सम्भवत: क्रूर मानसिकता वाला ड्रैगन इसे समझने की संवेदनशीलता नहीं रखता. विहिप भारत सरकार से अपील करती है कि मानसरोवर यात्रा के विषय को और अधिक गंभीरता से ले तथा चीन को चेताए कि वह जमीन की भूख को इस यात्रा में बाधा न बनने दे.