नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक का पैसा उसके नॉस्ट्रो अकाउंट में पहुंचाया और फिर बेहद सुरक्षित मानें जाने वाले नॉस्ट्रो अकाउंट को लूट लिया. नॉस्ट्रो अकाउंट किसी भारतीय बैंक का विदेशी मुद्रा वाला वह अकाउंट है जिसे किसी अन्य बैंक की विदेश में स्थित शाखा में खुलावाया जाता है.
आमतौर पर विदेश में बैंकों के बीच विदेशी मुद्रा में लेनेदेन का काम इस अकाउंट के जरिए किया जाता है. लिहाजा एक बात साफ है कि यह बैंक का एक खास अकाउंट है क्योंकि इसके जरिए वह विदेशी मुद्रा में ट्रांजैक्शन करता है. वहीं बैंकिंग नियम के मुताबिक बैंक के इस अकाउंट की नियमित सूचना केन्द्रीय रिजर्व बैंक को देने का प्रावधान है जिससे यह अकाउंट कभी किसी बड़ा धांधली का शिकार न हो. वहीं इस अकाउंट को ऑनलाइन संचालित करने के लिए खास पासवर्ड का इस्तेमाल होता है जिसकी जानकारी बैंक में शीर्ष और सीमित लोगों तक रहती है.
इसके बावजूद नीरव मोदी और उसकी टीम ने पीएनबी के इस अकाउंट को लूटने में सफलता पाई है.
यूं बना बैंक लूटने का प्लान और खाली हो गया PNB का नॉस्ट्रो अकाउंट
1-नीरव मोदी, उनकी पत्नी एमी नीरव मोदी, भाई नीशल मोदी और मामा गीतांजलि जेम्स के मेहुल चौकसी की मिल्कियत वाली कंपनियां-डायमंड और यूएस, सोलर एक्सपोट्रर्स और स्टेलर डायमंड्स –पीएनबी के अफसरों के पास गईं और उनके लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एलओयू) जारी करने के लिए कहा, इस साख पत्रों के जरिए वे सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों की विदेशी शाखाओं से आयात के लिए पूंजी उगाह सकती थीं.
क्या हुई चूकः पीएनबी के अफसरों-गोकुलनाथ शेट्टी और मनोज हनुमंत खरात ने अनिवार्य तौर पर ली जाने वाली जमानतों/बैंक गारंटियों के बगैर एलओयू जारी कर दिए.
2-पीएनबी 30 हिंदुस्तानी बैंकों की विदेशी शाखाओं को स्विफ्ट प्रणाली के जरिए संदेश भेजता है और उसके ग्राहक को जरूरत के मुताबिक कर्ज देने के लिए कहता है, स्विफ्ट संदेशों का काम संभालने के ले तीन शख्स मुकर्रर थे जिन्हें इस प्रणाली तक पासवर्ड से सुरक्षित पहुंच हासिल थी.
क्या हुई चूकः एक आरोपी अफस को तीन पासवर्ड मालूम थे. संदेश भी दो ही लोगों ने भेजे मालूम देते हैं.
3-स्विफ्ट के जरिए इत्तला मिलने पर ये बैंक रकम पीएनबी के नोस्ट्रो खाते में जमा कर देते हैं. यही वह खाता है जिसमें इन बैंकों को हांगकांग स्थित शाखाएं पीएनबी की जरूरत के मुताबिक रकम भेजती हैं.
क्या हुई चूकः साफ नहीं है कि प्राप्त करने वाले बैंक ने वापस पीएनबी की शाखा और क्षेत्रीय दफ्तर को तस्दीक के नोट भेजे या नहीं. कोई खरते की घंटी नहीं बजाई गई.
4-पीएनबी यह रकम मोदी और उनकी कंपनियों को अधा कर देती, पर वे इसका इस्तेमाल महज पिछला कर्ज चुकाने के लिए करते. मोदी की कंपनियों की गुजारिश पर पहले वाले एलओयू को बढ़ाते हुए एक नया एलओयू तैयार किया जाता है और इस बार इसमें चुकाए जाने वाले ब्याज को भई शामिल कर लिया जाता है.
क्या हुई चूकः स्विफ्ट के लेनदेन का पीएनबी की कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ मिलान नहीं किया गया. कुल मिलाकर 11,000 करोड़ रु. से भी ज्यादा इन नोस्ट्रो लेनदेनों में से एक पर भी खतरे की झंडी नहीं लगाई गई.
5-कर्जों की एवरग्रीनिंग (यानी नए कर्ज लेकर ब्याज चुकाया जाता रहा और मूल जस का तस बना बढ़ता रहा). का यह खेल सालों-साल चलता रहता है, आखिरकार रकम बढ़ते-बढ़ते बहुत ही ज्यादा हो जाती है, जैसा कि मौजूदा मामले में हुआ. 15 फरवरी को दर्ज सीबीआई की एफआइआर कहती है कि अकेले 2017-18 में मोदी और उनकी कंपनियों ने पीएनबी से 143 एलओयू जारी करवा करके 4,886.72 करोड़ रु. लूट लिए.
क्या हुई चूकः बैंक की शाखाओं में तैनात ऑडिटरों से लेनदेन की तस्दीक करने की उम्मीद की जाती है. शाखा प्रबंधक स्विफ्ट लेनदेन वाले रजिस्टर की समीक्षा करते हैं, बैंकों से जारी किए गए एलओयू हरेक तिमाही में आरबीआइ को भेजे जाते हैं. इन तमाम प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया.