उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष गंभीर रूप लेता दिख रहा है. यहां भड़की ताजा हिंसा में अब तक एक शख्स की मौत हो गई, जबकि करीब गंभीर 10-12 घायल हुए हैं.
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सहारनपुर में भड़की हिंसा के बीच वहां भीम आर्मी और उसके प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ दलितों की नई आवाज बन कर उभरी है. पिछले दिनों दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान चंद्रशेखर को भारी समर्थन मिलता दिखा. इस रैली में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, हरियाणा, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में दलित यहां पहुंचे थे.
कुछ अनुमानों के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन में करीब 50,000 लोग शामिल हुए थे. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर और गुजरात के गिजणेश मवानी के नेतृत्व में दलितों के बीच काफी लंबे अर्से बाद इस तरह की एकता देखी गई. भीम आर्मी के समर्थन में जंतर मंतर पर हुआ विरोध प्रदर्शन राज्य और केंद्र सरकारों के प्रति दलितों के मन में गुस्से का प्रतीक तो था ही, साथ ही इसने बहुजनों की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती को भी संभवत: चिंतित कर गया. जानकारों के मुताबिक, दलित के बीच अपनी जमीन खिसकती देख ही मायावती ने करीब एक महीने बाद सहारनपुर जाने का फैसला किया.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ठाकुरों और दलितों के बीच संघर्ष गंभीर रूप लेता दिख रहा है. यहां भड़की ताजा हिंसा में अब तक एक शख्स की मौत हो गई, जबकि करीब गंभीर 10-12 घायल हुए हैं.
जिले के शब्बीरपुर गांव में यह हिंसा बसपा सुप्रीमो मायावती के दौरे के ठीक बाद भड़की. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मायावती की रैली से लौट रहे लोगों पर हमला हुआ, जिसके बाद इलाके में महीने भर के अंदर तीसरी बार हिंसा भड़क उठी.
सहारनपुर में भड़की हिंसा के बीच वहां भीम आर्मी और उसके प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ दलितों की नई आवाज बन कर उभरी है. पिछले दिनों दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान चंद्रशेखर को भारी समर्थन मिलता दिखा. इस रैली में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, हरियाणा, झारखंड और पंजाब जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में दलित यहां पहुंचे थे.
कुछ अनुमानों के मुताबिक, इस विरोध प्रदर्शन में करीब 50,000 लोग शामिल हुए थे. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर और गुजरात के गिजणेश मवानी के नेतृत्व में दलितों के बीच काफी लंबे अर्से बाद इस तरह की एकता देखी गई. भीम आर्मी के समर्थन में जंतर मंतर पर हुआ विरोध प्रदर्शन राज्य और केंद्र सरकारों के प्रति दलितों के मन में गुस्से का प्रतीक तो था ही, साथ ही इसने बहुजनों की राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती को भी संभवत: चिंतित कर गया. जानकारों के मुताबिक, दलित के बीच अपनी जमीन खिसकती देख ही मायावती ने करीब एक महीने बाद सहारनपुर जाने का फैसला किया.