टीम इंडिया के नए कोच के चुनाव के लिए BCCI द्वारा अधिग्रहित सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की सदस्यता वाली क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी(सीएसी) ने कोच पद के चुनाव की कार्रवाई शुरू कर दी है। लेकिन इन तीन पूर्व दिग्गजों ने बीसीसीआई के सामने एक परेशानी भी खड़ी कर दी है।
इन तीनों ने भारत-श्रीलंका मैच के बाद बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी के सामने यह बात रखी कि उनके पद को अॉनररी न रखा जाए। उन्हें उनके काम के लिए फीस अदा की जाए। इसके बाद आशा की जा रही है कि जौहरी सीएसी के सदस्यों की यह बात सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के सामने रखेंगे जिन्हें इस बारे में अंतिम निर्णय लेना है।
फिलहाल इन्हें सीओए के निर्णय का इंतजार है,बीसीसीआई में ऐसे सदस्य भी हैं जिनका मानना है कि सीएसी के सदस्यों को फीस नहीं दी जानी चाहिए। ऐसा बीसीसीआई की उप-समितियों और बीसीसीआई के सदस्यों के साथ होता है। चूंकि बीसीसीआई की कई समिति के सदस्यों को कोई फीस नहीं दी जाती है। ऐसे में सीएसी के सदस्य कोई अपवाद नहीं हैं। बीसीसीआई के अधिकारी ने बताया कि इस तरह की मांग पहले भी उठ चुकी है जिसे बीसीसीआई ने नकार दिया था।
गांगुली वर्तमान में क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही वीवीएस लक्ष्मण और गांगुली बीसीसीआई के लिए कॉमेन्ट्री भी करते हैं। सीएसी ने सबसे पहले साल 2015 में जगमोहन डालमिया के अध्यक्ष रहते फीस दिए जाने की मांग की थी। डालमिया ने ही क्रिकेट के मामलों में सलाह देने के लिए बड़े खिलाड़ियों वाली इस समिति का गठन किया था।
लेकिन डालमिया ने ही समिति के सदस्यों को फीस देने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई पारंपरिक रूप से समिति के सदस्यों को घर और दैनिक भत्ता देता है। मीटिंग के दिन कार उपलब्ध कराता है। ये सुविधाएं ही सीएसी को मिलेंगी।
डालमिया ने उस समय, पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों को नई प्रशासनिक भूमिका देते हुए कहा था कि उनका अनुभव भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में मददगार साबित होगा। आने वाली पीढ़ियों को दिग्गज खिलाड़ियों के अनुभव का लाभ मिलना चाहिए।