करीब एक माह पहले देश में कोरोना संक्रमण के मामले बेहद मामूली रह गए थे। मगर इस दौरान लोगों की ओर से बड़ी लापरवाहियां बरती जाने लगीं। इधर कोरोना घात लगाए बैठा था। जब स्कूल खुले तो उसने छोटे बच्चों को कोरोना विस्फोट के लिए स्लीपर सेल की तरह इस्तेमाल किया। बच्चों के जरिये कोरोना ने देश भर में फिर से संक्रमण की मजबूत चेन तैयार कर दी। एक संक्रमित बच्चे ने घर जाकर अपने पूरे परिवार को संक्रमित कर दिया। जो कि अब देश भर के लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। जबकि इंडियन एकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आइएपी) ने पहले ही सरकार को पत्र भेजकर बच्चों के स्कूल नहीं खोलने का सुझाव देते हुए देश भर में गाइडलाइन जारी करने की बात कही थी। मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा सामने है। संजयगांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान व केजीएमयू के विशेषज्ञों का कहना है कि अब भी वक्त है कि अभिभावक बच्चों को लेकर सतर्क नहीं हुए और उन्हें बाहर निकलने दिया तो इसके परिणाम देश में भयावह हो सकते हैं।
संक्रमित बच्चे कोरोना के सुपर स्प्रेडर: एसजीपीजीआइ में बालरोग विशेषज्ञ प्रो. डा. पियाली भट्टाचार्या ने बताया कि हमारे पास पांच से 14 वर्ष तक के संक्रमित बच्चे काफी संख्या में आ रहे हैं। कुछ बच्चे तो डेढ़ वर्ष तक के भी आए जो कोरोना संक्रमित हैं। हालांकि बच्चों में गंभीरता के मामले मामूली हैं। सिर्फ कुछ में सीवियारिटी देखी गई। मगर जो बच्चे संक्रमित हो रहे हैं भले ही उनमें से अधिकांश को ज्यादा परेशानी नहीं हो, लेकिन वह कोरोना के सुपर स्प्रेडर्स का काम कर रहे हैं। एक बच्चा अपने घर में माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी समेत घर के अन्य सारे सदस्यों को संक्रमित कर रहा है। इसे रोकोना होगा।
इन लक्षणों के साथ आ रहे बच्चे: डा. पियाली ने बताया कि कोरोना संक्रमित ज्यादातर बच्चों में डायरिया जैसे लक्षण हैं। कुछ में नाक से पानी आना, जुकाम, हल्का बुखार इत्यादि भी है।
बच्चे होते हैं अनजान: सभी बच्चे आमतौर पर उतने सतर्क नहीं होते। वह स्कूल व दोस्तों संग मास्क भी नहीं लगाते। कहीं किसी भी वस्तु को छूने के बाद हाथ को मुंह, आंख में लगाते हैं। फिर आने पर घरवालों को भी छूते हैं।
स्कूल नहीं होते बंद तो और भीषण होता कोरोना विस्फोट: केजीएमयू में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डा. वेद प्रकाश कहते हैं कि अच्छा हुआ सरकार ने स्कूल बंद कर दिए। अन्यथा कोरोना विस्फोट और भी तेजी से होता। अब अभिभावकों को चाहिए को वह अपने बच्चों को कोरोना के खतरे से सतर्क करें। अगले एक माह तक उन्हें बाहर नहीं जाने दें।