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जवान की पत्नी ने जस्टिस जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति विनोद गोयल को इस मुलाकात के बारे में जानकारी दी। इसके बाद पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह पति-पत्नी को उस शिविर में मुलाकात करने और जहां सैनिक वर्तमान में तैनात है वहां पति-पत्नी को दो दिन तक साथ रहने की अनुमति दी जाए।
पति से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि पति को खोजने के लिए उन्होंने जो याचिका दायर कती थी, उसके लिए अब वह दबाव नहीं बनाना चाहतीं। वहीं केंद्र और बीएसएफ की ओर से अधिवक्ता गौरांग कांत ने बताया कि जवान के पास एक नया मोबाइल फोन है और इससे बात करने पर उसपर कोई पाबंदी नहीं है।
अधिवक्ता ने कहा कि जवान को कभी भी गैर कानूनी तरीके से कैद नहीं किया गया था। उसे जम्मू के सांबा स्थित कालीबाड़ी में 88वीं बटालियन के मुख्यालय में तैनात कर दिया गया था।