बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को तगड़ा झटका दिया है।
शीर्ष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों को कोर्ट में पेश कराने की जिम्मेदारी CBI की है।
न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है। हालांकि कोर्ट ने मामले में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह राहत दी है।
सीबीआई ने कोर्ट से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की है।
सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए।
इससे पहले छह अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश नरीमन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले के कई आरोपी पहले ही मर चुके हैं और ऐसे ही देरी होती रही तो कुछ और कम हो जाएंगे।
इस दौरान आडवाणी के वकील के के वेणुगोपाल ने मुकदमा ट्रांसफर करने का पुरजोर विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे केस ट्रांसफर नहीं कर सकती है. रायबरेली में मजिस्ट्रेट कोर्ट है, जबकि लखनऊ में सेशन कोर्ट इस मामले को सुन रहा है।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान के कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करके रायबरेली में चल रहे मामले को लखनऊ की विशेष अदालत में ट्रांसफर कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है. लिहाजा वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की सुनवाई अगले 2 साल में पूरी हो और प्रतिदिन इसकी सुनवाई हो.