कौमार्य की अवधारणा को लेकर कई तरह के भ्रम समाज में फैले हैं। कामुकता के बारे में लड़कियों और लड़कों को अंधेरे में रखा गया है। सामाजिक विकास के क्रम में पुरुषों के कौमार्य भंग करने पर कोई दोष नहीं दिया गया।
जबकि इसकी पूरी जिम्मेदारी महिलाओं पर डाल दी गई। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही मिथकों के बारे में जो कौमार्य को लेकर फैलाए गए हैं।
हैमन टूटने का मतलब वर्जिनिटी खोना नहीं है
हैमेन एक पतली झिल्ली होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह किसी भी तरह से एक महिला के कौमार्य की पहचान नहीं है। कई कारणों जैसे साइकिल चलाने, घुड़सवारी करने, जिमनास्टिक या अन्य कारणों से यह झिल्ली टूटू जाती है। इसलिए हैमन टूटने का मतलब कौमार्य का खत्म हो जाना नहीं होता है।
हस्तमैथुन करने वाले वर्जिन नहीं होते
हस्तमैथुन अपनी यौन जरूरतों को संतुष्ट करने का एक तरीका है। इससे किसी भी तरह से ‘कौमार्य’ खत्म नहीं होता है।
पहली बार सेक्स में खून बहेगा होगा और दर्द होगा
यह बिल्कुल झूठ है। सेक्स की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। पहली बार सेक्स के दौरान खून बह भी सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हर महिला के साथ ऐसा हो। जहां तक दर्द का सवाल है, तो यह सब आपके साथी पर निर्भर करता है।
कौमार्य आपको अधिक प्रिय बनाता है
सबसे पहले कि आप किसके प्रिय बनना चाहते हैं। किसी का प्रिय बनने के लिए कौमार्य की क्या जरूरत है। कौमार्य होने से आप शुद्ध नहीं होते और उसके भंग हो जाने से आप अशुद्ध नहीं हो जाते।