घड़ी किसी भी घर के लिए एक जरूरी यंत्र है, घड़ी हमें समय की जानकारी बताती है, जो कुदरत की एक अनमोल सौगात है। हमारे पूर्वजों के समय से लेकर आज तक घडी के स्वरूप में अनेक बदलाव हो चुके हैं, लेकिन एक चीज कभी नहीं बदली। वो है समय। यह हमेशा अपनी नियमित गति से चलता है। यह कभी किसी का इंतजार नहीं करता। भारतीय वास्तु शास्त्र में बताया गया है की घड़ी किस प्रकार मनुष्य के लिए अच्छा और बुरा समय लेकर आती है। घर में घड़ी लगाने से संबंधित कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में अनेक नियम हैं। इससे हम जीवन में शुभ समय की शुरुआत कर सकते हैं। जानिए उन नियमों के बारे में।
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1- दक्षिण दिशा को भगवान यम का रास्ता माना जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मृत्यु की दिशा। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिणी हिस्से में कभी घड़ी नहीं लगानी चाहिए। दक्षिण में लगाई हुई घड़ी परिजनों की आयु और सौभाग्य के लिए अशुभ मानी जाती है।
2- बहुत पुरानी, बार-बार खराब होने वाली और धुंधले शीशे वाली घड़ियां भी शुभ नहीं मानी जातीं। ये परिवार की सफलता में बाधक होती हैं। इससे परिश्रम का उचित फल नहीं मिलता।
3- कमरे का दरवाजा ऐसा स्थान है, जहां से मनुष्य ही नहीं प्रकृति की ऊर्जा भी प्रवेश करती है। दरवाजे पर घड़ी लगाना शुभ नहीं माना गया है। कहते हैं कि इससे घर में खुशियों के क्षण प्रवेश नहीं करते और परिवार में अच्छा माहौल नहीं रहता।
4- कार्यस्थल पर ऐसी घड़ी होनी चाहिए जो आकार में कुछ बड़ी, साफ और दिखने में सुंदर हो। बहुत पुरानी और रुक-रुक कर चलने वाली घड़ी कार्यालय में नकारात्मक ऊर्जा तथा सुस्ती लाती हैं।
5- कार्यस्थल पर बंद घड़ी भी नहीं रखनी चाहिए। वास्तव में बंद घड़ी ठहराव और पतन का सूचक होती हैं। घर में भी बंद घड़ी शुभ नहीं मानी जाती। अगर ऐसी घड़ी चलने लायक न हो तो उसे उतारकर पुराने सामान के साथ रख देना चाहिए।
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