लखनऊ: 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को टक्कर देने के लिए बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस हाथ तो मिला लिया है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि यह गठबंधन कैसे होगा और कौनसी पार्टी का उमीदवार किस सीट से लड़ेगा. लेकिन अगर सूत्रों की मानें तो बसपा सुप्रीमों ने आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अपना कार्य प्रारम्भ कर दिया है,  मायावती ने अखिलेश यादव और राहुल गाँधी से चर्चा किए बिना ही उत्तर प्रदेश के सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने प्रभारी तय कर दिए हैं 
 
मायावती ने आगामी चुनावों की गंभीरता को देखते हुए बिना देर करे अपने प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं और जैसा की बसपा की परंपरा रही है, बसपा का प्रभारी ही आगे जाकर उस सीट का उम्मीदवार बनता है, वहीं प्रभारियों ने भी अपनी-अपनी सीटों पर प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मायावती को अखिलेश और कांग्रेस के साथ हुए गठबंधन पर भरोसा नहीं है ? सूत्रों का यह भी कहना है कि यह मायावती का राजनीतिक दांव हो सकता है, जिससे वो इस महागठबंधन का अधिकतम फायदा उठाकर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्ज़ा कर सके.
हालांकि मायावती के कार्यकर्ता इस बस चुनावी मुहीम बता रहे हैं, उनका कहना है कि कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए यह कदम उठाया गया है, ताकि सीटों के लिए निश्चित किए गए प्रभारी, अपने-अपने मोर्चे पर सक्रीय हो जाएं. किन्तु राजनीति के विशेषज्ञ इसे सीटों पर कब्ज़ा करने के नज़रिए से ही देख रहे हैं. गौरतलब है कि अभी तक बसपा, सपा और कांग्रेस के महागठबंधन का अंतिम रूप निश्चित नहीं किया गया है, यानि जीती हुई सीटों का बंटवारा कैसे होगा यह अभी निश्चित नहीं है. वहीं मायावती और अखिलेश के संबंधों से भी सभी भली-भाँती परिचित हैं, दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है, लेकिन वो भला हो पीएम मोदी का, जिनकी वजह से ये दोनों प्रतिद्वंदी एक हो गए. खैर, वैसे मायावती के इस कदम के बाद अखिलेश यादव और राहुल गाँधी की प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प होगी.
 TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features
				 
						
					 
						
					