प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी हार झेलने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मुश्किलें तेजी से बढ़ती दिख रही हैं। अपनी पहली सबसे बड़ी राजनीतिक हार से रूबरू हो रहे अखिलेश के लिए संगठन को बनाए रखने के साथ ही पारिवारिक लड़ाई में जवाबी हमले के सामने टिके रहने की चुनौती खड़ी हो गई है।
माना जा रहा है कि अब उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को भी विरोधी पक्ष अपने हमले की जद में लेगा। इसका अहम कारण अखिलेश के ही उस बयान को बनाए जाने की तैयारी है, जिसमें उन्होंने मुलायम सिंह यादव से कहा था कि बस 3 महीने हमें दे दीजिए। उसके बाद आप जो चाहे कीजिए।
वर्चस्व की जंग में अहम हथियार बना ‘बड़ों का अपमान’
परिवार में वर्चस्व की जंग में अखिलेश का विरोधी खेमा लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि मुलायम सिंह यादव के साथ जो हुआ वह गलत था। अखिलेश ने मुलायम का अपमान किया। उन्होंने मुलायम के साथ ही शिवपाल व अन्य पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने की भारी गलती की। ये वे लोग थे, जिन्होंने पार्टी को एक-एक ईंट जोड़कर खड़ा किया था। इनकी संगठन में अच्छी खासी पकड़ थी।
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