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क्या आपको पता है अखिलेश सरकार का ‘यश भारती घोटाला’?

उत्तर प्रदेश की पिछली समाजवादी सरकार की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान यश भारती पुरस्कार यूं ही विवादों में नहीं रहता. हमेशा इस अवॉर्ड पर सवाल उठाए जाते रहे हैं.क्या आपको पता है अखिलेश सरकार का 'यश भारती घोटाला'?

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक आरटीआई में सामने आया इस अवॉर्ड का सच चौंकाने वाला है. एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट में साफ है कि ‘समाज में सामाजिक जागरूकता फैलाने’ के लिए दिए जाना वाला यश भारती अवॉर्ड यूं ही बांट दिया गया था. ये अवॉर्ड साफ तौर पर संरक्षण और पक्षपात के दृष्टिकोण से दिया गया था. इसमें कहीं ‘समाज’ और ‘सामाजिक जागरूकता’ नहीं थी.

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समाजवादी सरकार के इस अवॉर्ड के तहत विजेता को 11 लाख की पुरस्कार राशि और आजीवन 50,000 का पेंशन मिलता है. मुलायम सिंह यादव ने इस पुरस्कार की शुरुआत 1994 में किया था. तबसे जब भी समाजवादी पार्टी सरकार में रही, तब-तब ये सम्मान साहित्य, फिल्म, विज्ञान, पत्रकारिता, संस्कृति, संगीत, नाटक, खेल, आदि क्षेत्रों में योगदान देने वालों को दिया जाता रहा. जब भी बीएसपी या बीजेपी की सरकारें आतीं, ये पुरस्कार बंद कर दिया जाता.

इंडियन एक्सप्रेस ने यश भारती के विजेताओं से जुड़ी आरटीआई डालकर इस अवॉर्ड के विजेताओं में से लगभग 142 विजेताओं के नॉमिनेशन की हकीकत निकाली है. इन विजेताओं में से कुछ एसपी नेताओं की सिफारिश से वहां तक पहुंचे थे, कुछ को मुख्यमंत्री कार्यालय से प्रस्तावित की गई थी, राजा भैया की सिफारिश पर यहां तक कि हालत ये थी कि कुछ ने इस अवॉर्ड के लिए खुद अपना नाम दे रखा था.
कई लोगों ने सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय को अपने आवेदन भेजे थे, जबकि ये पुरस्कार आधिकारिक तौर पर राज्य का संस्कृति मंत्रालय देता था.

आरटीआई रिपोर्ट में सामने आया है कि ये पुरस्कार बिना किसी मानदंड या आवेदन प्रक्रिया के बगैर बांट दिए गए. पुरस्कार पाने वालों में से सैफई महोत्सव को होस्ट करने वाले टीवी एंकर, ज्योतिष से जुड़ी ड्रेस डिजाइनर, मेघालय में अपनी फील्ड रिसर्च को उपलब्धि बताने वाला रिसर्चर, मुख्यमंत्री कार्यालय में खुद ही अपना नाम भेजने वाला अधिकारी, शिवपाल सिंह यादव और आजम खान की तरफ से आए नाम, इन सबको बांटा गया है.

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आरटीआई रिपोर्ट की मानें तो कम से कम 21 लोगों को सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय में आवेदन भेजने के बाद यश भारती पुरस्कार मिला, 6 पुरस्कार विजेताओं का नाम समाजवादी पार्टी नेताओं ने बढ़ाया था. 2 नाम अखिलेश यादव के चाचा और उनकी सरकार में मंत्री रहे शिवपाल यादव ने प्रस्तावित किया था. 1 नाम आजम खान ने भेजा था. यादव सरकार में मंत्री रहे बाहुबली राजा भैया ने भी दो नाम भेजा था. हिन्दुस्तान टाइम्स के लखनऊ संस्करण की स्थानीय संपादक सुनीता एरोन के सुझाए उम्मीदवार को भी ये पुरस्कार दिया गया.
यूपी में वर्तमान योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहले ही इस पुरस्कार की जांच करने के आदेश दे दिए हैं.

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