लखनऊ: जनवरी के शुरुआत में ही यूपी पुलिस के नय डीजीपी के लिए ओपी सिंह के नाम की घोषणा की जा चुकी है। बावजूद इसके 13 दिन गुजर जाने के बाद भी अब आईपीएस अधिकारी ओपी सिंह डीजीपी की कुर्सी नहीं संभाल सकें हैं। नए डीजीपी के पद ग्राहण को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है। अब ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदेश के नवनियुक्त पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के 15 जनवरी के बाद कार्यभार ग्रहण संभाल सकेते हैं।
हालांकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि उनको कार्यमुक्त करने से संबंधित फाइल अभी पीएमओ में ही लटकी है। उधर डीजीपी के लिए नाम वऊाइनल होने के दो सप्ताह बाद भी ओपी सिंह के कार्यभार ग्रहण न करने को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानि सीआईएसएफ के डीजी पद पर तैनात ओपी सिंह के नाम पर मुहर लगा दी थी लेकिन केंद्र सरकार से उन्हें अब तक हरी झंडी नहीं मिली है।
सूत्रों की मानें तो गृह मंत्रालय ने उन्हें रिलीव करने से संबंधित फाइल 4 जनवरी को ही पीएमओ भेज दी थीए लेकिन वहां से अब तक मंजूरी नहीं मिली है। चर्चा यह भी है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा हाईकमान ओपी सिंह के नाम पर सहमत नहीं है। इसलिए भी उनके यूपी का आने का मामला खिंच रहा है।
सूत्रों की मानें तो ओपी सिंह के लखनऊ में एसएसपी के पद पर तैनाती के समय ही बसपा सुप्रीमो मायावती पर हमला हुआ था। इसलिए भाजपा हाईकमान को अंदेशा है कि ओपी सिंह को प्रदेश पुलिस का मुखिया बनाने पर बसपा इसे भाजपा के खिलाफ हथियार बना सकती है। इसका असर दलित वोट बैंक पर भी पड़ सकता है।
इसके अलावा यह भी चर्चा है कि भाजपा में शीर्ष स्तर पर नेताओं में चल रहे आपसी खींचतान की वजह से भी केंद्र से ओपी सिंह के नाम को हरी झंडी नहीं मिल रही है।
डीजीपी के लिए ओपी सिंह का नाम घोषित होने के बाद पुलिस विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर उनकी फोटो अपलोड कर दी गई थी लेकिन एक सप्ताह बाद अचानक फोटो हटा दी गई। इस वजह से भी नए डीजीपी के न आने की कयासबाजी को बल मिला है।