क्यों नहीं पहचान आते पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण? जाने

पैंक्रियाटिक कैंसर, कैंसर के सबसे घातर प्रकारों में गिना जाता है। इसकी कैंसर की सबसे बड़ी चुनौती है, इसका देर से पता चलना। जब तक इसके लक्षण नजर आने शुरू होते हैं, तब तक बीमारी एडवांस स्टेज पर पहुंच चुकी होती है।

पैंक्रियाटिक कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण यहीं है। इसलिए इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होना जरूरी है, ताकि इन पर ध्यान दिया जा सके और बीमारी का जल्दी से जल्दी पता लगाने में मदद मिल सके। आइए जानें प्रैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं।

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं?
पेट में दर्द जो पीठ तक फैलना- पैंक्रियाज पेट के पीछे, रीढ़ के पास स्थित होता है। जब ट्यूमर बढ़ता है, तो यह आसपास की नसों और अंगों पर दबाव डाल सकता है, जिससे ऊपरी पेट में दर्द होता है जो अक्सर पीठ तक जाता हुआ महसूस होता है। यह दर्द आता-जाता रह सकता है।
पीलिया- यह एक अहम लक्षण है, जो तब होता है जब लिवर से पित्त की नली पर ट्यूमर का दबाव पड़ता है। इससे बिलीरुबिन शरीर में जमा होने लगता है। इसके कारण त्वचा और आंखों का सफेद भाग पीला पड़ने लगता है, मल का रंग हल्का हो जाता है, यूरिन गहरे रंग का हो जाता है और त्वचा में खुजली होने लगती है।
अकारण वजन घटना और भूख न लगना- बिना किसी कोशिश के तेजी से वजन घटना कैंसर का एक सामान्य संकेत है। पैंक्रियाटिक कैंसर में शरीर खाने को ठीक से पचा नहीं पाता, जिससे पोषक तत्वों का अब्जॉर्प्शन नहीं हो पाता और वजन घटने लगता है। साथ ही, भूख भी कम लगती है।
अचानक डायबिटीज का होना- पैंक्रियाज इंसुलिन बनाता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। अगर यह अचानक ठीक से काम करना बंद कर दे, तो व्यक्ति को अचानक डायबिटीज हो सकता है या पहले से अगर डायबिटीज है, तो वह अनियंत्रित हो सकता है।
पाचन संबंधी समस्याएं- पैनक्रियाज से निकलने वाले डायजेस्टिव एंजाइम में रुकावट के कारण खाना ठीक से नहीं पच पाता। इससे मतली, उल्टी, सूजन और बेचैनी हो सकती है।
थकान और कमजोरी- शरीर की एनर्जी का सही इस्तेमाल न हो पाने और बीमारी से लड़ने की वजह से ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है।

पैंक्रियाटिक कैंसर का जल्दी पता क्यों नहीं लगता?
पैंक्रियाटिक कैंसर का समय रहते पता न चल पाने के पीछे कई कारण हैं-
पैंक्रियाज शरीर के बहुत गहराई में, पेट के पीछे स्थित होता है। इसकी वजह से शुरुआती ट्यूमर को डॉक्टर के सामान्य शारीरिक परीक्षण के दौरान महसूस कर पाना लगभग असंभव है।
शुरुआती चरणों में, जब ट्यूमर छोटा होता है, यह कोई लक्षण पैदा नहीं करता। जब लक्षण दिखते हैं, तो वे पेट में गैस, अपच या पीठ दर्द जैसी सामान्य समस्याओं से मिलते-जुलते हैं, जिन्हें मरीज या डॉक्टर गंभीरता से नहीं लेते।
पैंक्रियाटिक कैंसर बहुत आक्रामक होता है और यह शरीर के अन्य हिस्सों में, खासकर लिवर और फेफड़ों में, बहुत जल्दी फैल सकता है।

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