पाकिस्तान के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। कुलभूषण जाधव के मामले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस गुस्से को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। पाकिस्तान की अदालत ने कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुना दी है। पाकिस्तान के इस फैसले से नाराज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्रालय और विदेश मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वो पाकिस्तान की इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब दें। विदेश मंत्रालय पहले ही ये कह चुका है कि अगर कुलभूषण को पाकिस्तान में सजा-ए-मौत दी जाती है तो भारत इसे पाकिस्तान की ओर से सोचा समझा कत्ल मानेगा। हालांकि अभी भारत का पूरा जोर इस बात पर है कि कैसे कुलभूषण जाधव की जान बचाई जाए। दरअसल, बीते कुछ महीनों से पाकिस्तान ओझी और घिनौनी हरकतों पर उतार आया है। आतंकियों के गढ़ बन चुके पाकिस्तान और वहां की सरकार अब अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी खुलेआम उल्लंघन कर रही है। यहां तक कि कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा दिए जाने के बाद भी अंतरराष्ट्रीय रिवायतों को दरकिनार किया गया। पाकिस्तान में भारतीय दूतावास के अधिकारियों को कुलभूषण से मिलने की इजाजत तक नहीं दी गई। जबकि पिछले करीब एक साल से भारत इस बात के लिए पाकिस्तान से अनुरोध कर रहा है कि उनके दूतावास के अफसरों को कुलभूषण से मिलने की इजाजत दी जाए। इससे पहले जब कुलभूषण का कबूलनामा भी सामने आया था। उस वक्त भी उसे डरा-धमका का कबूलनामे की रिकॉर्डिंग की गई थी।
जरा सोचिए इस बात को पिछले साल तक कुलभूषण जाधव के खिलाफ पाकिस्तान के पास पुख्ता सबूत तक नहीं थे। लेकिन, चंद महीनों में ही उसके पास जाधव के खिलाफ इतने सबूत आ गए कि उसे फांसी की सजा तक सुना दी गई। ये बात भारत नहीं कह रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने अभी पिछले साल ही पाकिस्तानी सीनेट को बताया था कि उनके पास जाधव के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। यही वजह है कि पाक सरकार इस मसले पर डोजियर को पूरा नहीं कर पा रही है। पाकिस्तान में ईरान के राजदूत भी इस बात को साबित कर चुके हैं कि जाधव रॉ के एजेंट नहीं थे। भारत इन्हीं सब बातों को पाकिस्तान के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है।