लखनऊ। योगी आदित्यनाथ को यूपी का कार्यभार संभाले हुए करीबन दो महीने होने को हैं। लेकिन इन दो महीनों के कार्यकाल में योगी ने अब तक कई बड़े फैसले लिए हैं। बावजूद इसके अब योगी के सामने एक बड़ी चुनौती आ चुकी है। दरअसल, हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिसमे “सांसद रहते हुए यूपी के मुख्यमंत्री पद पर योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य की नियुक्ति को लेकर सवाल उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री पद को चुनौती देने वाली इस याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सोमवार को देश के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।
याचिका में कहा गया था कि दोनों ही लाभ के पद हैं, अत: सीएम और डिप्टी सीएम एक साथ इस पद पर बने नहीं रह सकते। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सीबी पांडेय ने कहा, प्रिवेंशन ऑफ डिसक्वालिफिकेशन ऑफ मेंबर ऑफ पार्लियामेंट एक्ट के सेक्शन 3-ए के तहत याचिका में चुनौती दी गई है। यह संविधान में दर्ज है।
सीएम पड़ की शपथ लेने से पहले नहीं दिया इस्तीफा ऐसे में राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाने से पहले योगी आदित्यनाथ और मौर्य को क्रमश: गोरखपुर और फूलपुर के सांसद पदों से इस्तीफा देना चाहिए था। वे दोनों पदों पर एक साथ नहीं रह सकते। पर, उन्होंने ऐसा नहीं किया।
ऐसे में सीएम और डिप्टी सीएम पदों पर उनकी नियुक्ति को शुरू से ही निष्प्रभावी मानते हुए रद्द करने का आदेश जारी करने की प्रार्थना की गई है। सुनवाई के दौरान प्रदेश के महाधिवक्ता मौजूद थे। उन्होंने भी अपना पक्ष रखा। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार – द्वितीय ने सुनवाई के बाद देश के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी किया। इसमें कहा कि वह खुद उपस्थित होकर अपना मत रखें।
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