नई दिल्ली 26 सितंबर:सिंधू समझौते पर अधिकारियों के साथ मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दिए जाने वाली पानी की कटौती के बारे में विचार-विर्मश किया। बैठक में पीएम ने कहा कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते
इसी के साथ प्रधानमात्री ने इस बैठक में पाकिस्तान को दिया जाने वाले पानी को रोका या घटाया जाने के तरीके पर भी अधिकारियों से बात की। सिंधू पानी समझौता 1960 पर भारत पुनर्विचार करेगा। प्रधानमंत्री ने इस मसले पर एक अहम बैठक की जिसमें सूत्रों के अनुसार 56 साल पुराने इस समझौते की सिफारिशों पर फिर से विचार के लिए एक समिति बनाने का फैसला किया गया है।
प्रधानमंत्री के कोझीकोड और सुषमा स्वराज के संयुक्त राष्ट्र के भाषणों से जाहिर है कि उरी हमले के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन मोड में है और आने वाले दिनों में ऐसे कदम उठा सकती है, जिसके तहत इस समझौते के प्रावधानों के तहत ही पाकिस्तान को दिया जाने वाला पानी रोका या घटाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री निवास पर हुई इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव जयशंकर के अलावा दूसरे कई अधिकारियों मौजूद थे। इन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि समझौते के तहत भारत, पाकिस्तान के खिलाफ कौन से कौन से के विकल्पों का इस्तेमाल कर सकता है।
सूत्र बताते हैं कि सिंधू और उसकी पांचो सहायक नदियों पर भारत को 1960 के समझौते में मिले अधिकारों के इस्तेमाल की एक नई रणनीति तैयार की गई है। भारत सिंधू झेलम और चेनाब के पानी को अब कृषि के साथ पनबिजली परियोजनाओं और डैम बनाने के लिए इस्तेमाल करेगा। समझौते के तहत ये अधिकार हमारे पास हमेशा से थे, लेकिन आज तक इनका इस्तेमाल नहीं किया गया था।
Experts के अनुसार अगर भारत सिर्फ समझौते में मिले अधिकारों का इस्तेमाल भी शुरु कर दे तो पाकिस्तान को मिलने वाला पानी घट जाएगा। पश्चिम पाकिस्तान के लिए ये पानी लाइफलाइन और इसकी कमी से वहां हड़कंप मच जाएगा।
इस पानी से पाकिस्तान को होता है यह फायदा…
– पाकिस्तान की 90 फीसदी खेती इसी पानी के आसरे होती है।
– सिर्फ कृषि से पाकिस्तानी को जीडीपी का 20 फीसदी हिस्सा और 42 फीसदी रोजगार हासिल होता है।
– झेलम पर खुशाब और सिंधू पर बने चश्मा परियोजनाओं से पाकिस्तान को बिजली मिलती है।
– बिजली के फ्रंट पर पाकिस्तान की हालत इतनी खास्ता है कि वहां का कपड़ा उद्योग ठप्प हो गया है।