जैसे-जैसे 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा विरोधी गठबंधन की कड़ियां जुड़ने लगी हैं, कांग्रेस ने अपना नफा-नुकसान तौलते हुए अपने हितों से कोई समझौता न करने का फरमान सुना दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि वह क्षेत्रीय दलों से समझौता करने में राज्य के अपने नेताओं के हितों से समझौता नहीं करेगी।
कांग्रेस के मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन की नीति पर कायम है। लेकिन इसके लिए वह अपनी पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओं के हितों पर कुठाराघात नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि राज्यवार इन मुद्दों पर आदर्श संतुलन कायम रखा जाएगा। भारतीय नेशनल कांग्रेस कभी भी अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के हितों का बलिदान नहीं करेगी। सुरजेवाला ने उन क्षेत्रीय दलों के लिए पार्टी की मंशा साफ कर दी जो “राष्ट्रीय हितों” की खातिर बड़े गठबंधन की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ काम करने की कांग्रेस की नीति समय-समय पर आजमाई गई और सुविचारित नीति है। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री एके एंटनी के नेतृत्व में गठित एक कमेटी राज्यों के नेताओं और राज्य प्रभारियों से बातचीत करने के बाद ही गठबंधन पर अंतिम निर्णय लेगी।
सुरजेवाला ने कहा कि कुछ-एक राज्यों में कांग्रेस ने तभी बढ़-चढ़कर फैसले लिए हैं जब कांग्रेस केरल में विद्रोहियों का सामना कर रही थी। तभी उसने राज्य से अपनी अकेली राज्यसभा सीट सहयोगी दल केरल कांग्रेस (मणि) को दे दी थी।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपने नेतृत्व की राय तृणमूल कांग्रेस या वाम दलों से गठबंधन बनाने से पहले माननी होगी। इसीतरह पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस की राज्य इकाइयां आम आदमी पार्टी से गठबंधन के सुझावों को नकार रही हैं।
दिल्ली कांग्रेस के प्रमुख अजय माकन ने कहा है कि पार्टी को राज्य में किसी भी सहयोगी दल की जरूरत नहीं है। वहीं, पंजाब में एआइसीसी प्रभारी आशा कुमारी ने आप से गठजोड़ की संभावनाओं को दरकिनार किया है। राजस्थान में भी राज्य कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट ने भी बसपा से गठबंधन के सुझावों को काटते हुए कहा है कि राज्य में पार्टी अकेले बेहतर प्रदर्शन करेगी।
दूसरी ओर, चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बसपा से बातचीत कर रहे हैं। लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की मांगी सीटों पर वह सहमत हैं या नहीं। उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस को रालोद, बसपा और सपा से सीटों के बंटवारे में कठिनाई हो रही है।