गणेश चतुर्थी पर शुक्रवार को घर-घर गणेश जी की प्रतिमाएं विराजित होंगी। प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर लोगों में काफी उत्साह नजर आया और घरों में तैयारियां जोर-शोर से चलती रही। कोरोना संक्रमण के चलते शहर में सार्वजनिक स्थलों पर इस बार प्रतिमाएं तो विराजमान होंगी, लेकिन झांकियों सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान नहीं होंगे।
गणेशोत्सव के चलते कटरा बाजार में गणेश प्रतिमाओं की दर्जनों दुकानें सज गई हैं। प्रशासन के आदेश के चलते इस बार पांच फीट से ज्यादा बड़ी प्रतिमाएं शहर में नजर नहीं आ रही हैं, लेकिन प्रतिमाओं की कई दुकानें सजी हैं। गणेशोत्सव के चलते कटरा बाजार में एक दिन पहले सुबह से गणेशजी की प्रतिमाएं लेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी थी। बच्चे अपने प्रिय भगवान को घर ले जाने के लिए माता-पिता के साथ बाजार पहुंचे और गणपति की प्रतिमा घर ले गए। कटरा बाजार, मकरोनिया व शहर में अन्य स्थानों पर लगी दुकानों में मंगलमूर्ति श्रीगणेश की सुंदर प्रतिमाएं भक्तों को आकर्षित कर रही हैं।
सिद्धि और बुद्धि के साथ पूजे जाएंगे श्रीगणेश
पं. रामगोविंद शास्त्री ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नानादि से निवृत्त होकर इस दिन केवल मिट्टी से बने गणेशजी की प्रतिमा ही स्थापित करना चाहिए। पूजन के बाद नीची नजर यानी कि धरती में देखते हुए चंद्रमा को जल अर्पित करते हुए दर्शन करना चाहिए। गणपति प्रतिमा स्थापना के दौरान कलश स्थापना करें। नौ स्थानों पर चावल रखें या चावल का सांतियां बनाकर उसके ऊपर नौ सुपारी रखें। इन पर सूर्य चंद्र, राहु और केतु आदि ग्रहों का ध्यान कर पूजन करें। इसके अलावा हल्दी, चंदन के साथ उन्हें सिंदूर जरूर चढ़ाएं। गणेशजी को दूवा, लड्डू, मेवा और सिंदूर पसंद है। गणेश प्रतिमा के दाहिने हाथ की ओर एक सुपारी माता पार्वती का रूप मानकर रखें। पं. शास्त्री ने बताया कि गणेशजी अपनी पत्नी सिद्धि और बुद्धि के साथ पूजे जाएंगे।
गाजे-बाजे के साथ विराजेंगे श्रीगणेश
शुक्रवार को भगवान गणेशजी को गाजे-बाजे के साथ घर लाया जाएगा। मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा चुका है। श्रीगणेश को विभिन्ना प्रकार से पूजन करके प्रसन्ना करने की कोशिश की जाती है। साथ ही उन्हें सबसे पहले सिंदूर चढ़ाया जाता है। गणेशी जी को सिंदूर चढ़ाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। पं.रामगोविन्द शास्त्री के अनुसार एक बार भगवान गणेश ने सिंदुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, जिसका रंग भी सिंदूरी था। उसे मारकर भगवान ने अपने शरीर पर रगड़ लिया था। तभी से उन्हें गणेशजी को सिंदूरी रंग चढ़ाया जाने लगा है।
पान चढ़ाने से मिलेगा ऐश्वर्य, सुपाड़ी पत्नियों का प्रतीक
भगवान को पान चढ़ाने के पीछे की भी एक अपनी वजह है। पान को तांबूल भी कहा जाता है। यदि आप समाज और अपने कार्य क्षेत्र में ऐश्वर्य प्राप्त करना चाहते हैं तो भगवान गणेश को पान जरूर चढ़ाएं। ऐसा करना आपके सम्मान में वृद्धि कराएगा। वहीं ज्योतिषाचार्यों की माने तो भगवान को चढ़ाए जाने वाले नैवेद्यों में लौंग का भी विशेष महत्व है। लौंग चढ़ाने का मुख्य कारण मुख शुद्धि से लिया जाता है। इसके अलावा भगवान गणेश की दो पत्नी सिद्धि और बुद्धि को माना जाता है और इन्हीं के रूप में भगवान के दोनों ओर दो सुपारियों को स्थापित किया जाता है। गणपति की स्थापना के समय ये विशेष ध्यान रखें। एक तरफ सिद्धि और दूसरी तरफ बुद्धि को स्थापित कर उन्हें वस्त्र रूप में कलावा चढ़ाएं।
यह पूजन सामग्री करें उपयोग
पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बताशा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प एवं भोग का समान।
इन मंत्रों का जाप करें
– वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
– ॐ श्री गं गणपतये नमः का जाप करें।
दिन में तीन बार लगाएं भोग
घर में गणपति की स्थापना की है तो दिन में तीन बार भोग जरूर लगाएं। गणपति बप्पा को प्रतिदिन मोदक का भोग जरूर लगाएं। मोतीचूर या बेसन के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं।
गणेश जी की स्थापना के मुहूर्त
दिन शुक्रवार
राहू काल- सुबह 10ः30 से 12 बजे तक
लाभ और अमृत- सुबह 7ः30 से 10ः30 बजे तक
शुभ मुहूर्त – दोपहर 12 से 1ः30