बारिश का सीजन आते ही तमाम तरह की बीमारियां भी लाता है। बारिश के मौसम में गले की खराश, सर्दी-जुकाम की समस्या काफी सारे लोगों को हो जाती है। इनसे बचने के लिए आप सीधे एंटीबायोटिक खाने की बजाय आयुर्वेद का सहारा ले सकते है। मुलेठी ऐसी ही आयुर्वेदिक हर्ब है। जिसे गले की खराश, खांसी के साथ ही डाइजेस्टिव प्रॉब्लम में भी इस्तेमाल किया जाता है। मुलेठी को स्वीटवुड भी कहते हैं। बहुत सारे लोग इसका इस्तेमाल चाय में भी करते हैं। इसके काफी सारे हेल्थ बेनेफिट्स हैं।
मुलेठी के हेल्थ बेनिफिट्स
मुलेठी में एंटी वायरल, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो डाइजेशन को सही करने में मदद करते हैं और कब्ज की शिकायत होने से बचाते हैं। साथ ही गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर जैसी बीमारी से भी बचाने में मदद करते हैं। मुलेठी इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में मदद करता है। जिससे बीमारियां कम होती है।
सर्दी खांसी में मिलता है आराम
मुलेठी के इतने सारे हेल्थ बेनेफिट्स होने के साथ ही सर्दी-खांसी में भी राहत पहुंचाता है। गले की खराश और सांस लेने में तकलीफ होने पर मुलेठी खाना फायदेमंद है। अगर बारिश के मौसम में जुकाम और गले की खराश परेशान कर रही है तो आयुर्वेद के अनुसार मुलेठी को 2 तरह से इस्तेमाल करने से फायदा पहुंचता है।
काढ़ा बनाकर पिएं
मुलेठी एक तरह की सूखी लकड़ी होती है। जिसे पानी में डालकर पका लें। और छानकर इस काढ़े को पिएं। मुलेठी गले की खऱास में तेजी से काम करती है।
सूखी खांसी में कैसे इस्तेमाल करें मुलेठी
अगर किसी को सूखी खांसी आ रही है तो मुलेठी की लकड़ी का पाउडर बना लें। फिर एक चम्मच मुलेठी के पाउडर को गर्म में घोलें। साथ में एक चम्मच शहद डाल दें। इस काढ़े को पीने से सूखी खांसी में राहत मिलती है।
तुलसी की पत्ती के साथ बनाएं काढ़ा
मुलेठी की लकड़ी को पानी में डालें। पानी जब उबलने लगे तो तुलसी और पुदीना की पत्ती को भी मिक्स कर दें। करीब 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं और गैस की फ्लेम बंद कर दें। इस काढ़े को छानकर पिएं। ये सर्दी और गले की खराश को दूर करने में मदद करेंगे।
मुलेठी को चबाएं
गले की खराश में केवल मुलेठी की लकड़ी को चबाने से भी आराम मिलता है और गले का दर्द ठीक होता है।