गुजरात के मेहसाना में इन दिनों उपचुनाव चल रहे हैं। इसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है। मेहसाना के इस उपचुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों का आरक्षण मुख्य चुनावी मुद्दा बना हुआ है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी तो दूसरी ओर पाटीदार दोनों पार्टियां आरक्षण मुद्दे के जरिए मतदाताओं को अपनी ओर लुभाने का भरसक प्रयास कर रही हैं।
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मेहसाना उपचुनाव बीजेपी के लिए उसकी प्रतिष्ठा और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले परिक्षण का चुनाव माना जा रहा है। बीजेपी यहां जीत दर्ज करने के लिए चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। दोनों राजनीतिक पाट्रियां मतदाताओं को लुभाने के लिए इमोशनल अटैचमेंट का सहारा भी ले रही हैं।
मामले में मेहसाना में पाटीदार अनातमंद आंदोलन समिति के संयोजक सुरेश भाई पटेल ने कहा कि भाजपा और पाटीदार के बीच के रिश्ते एक पिता और पुत्र के समान थे। मेहसाना में पाटीदार का ओबीसी कोटे की मांग का आंदोलन 2015 में शुरु हुआ था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमने सत्ता में काबिज होने पर भाजपा की मदद की है लेकिन जब हमें मदद चाहिए होती है तो पार्टी हमारी बात नहीं सुनती है। 1984 में जब पूरे देश में बीजेपी का आयोजन किया गया था तो मेहसाना उन दोनों लोकसभा सीट में एक थी।
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