गुजरात चुनावः कांग्रेस के जातिगत दांव को मात देने के लिए BJP चलेगी हिन्दुत्व का कार्ड..

गुजरात चुनावः कांग्रेस के जातिगत दांव को मात देने के लिए BJP चलेगी हिन्दुत्व का कार्ड..

कांग्रेस के जातिगत राजनीति की काट में भाजपा गुजरात अस्मिता और हिन्दुत्व के दांव को सियासी औजार बनाएगी। विभिन्न योजनाओं का शिलान्यास करने के लिए पीएम मोदी रविवार को चुनावी राज्य गुजरात के दौरे पर हैं। उनके दौरे से एक दिन पूर्व कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के सबसे कद्दावर नेता अल्पेश ठाकोर को अपने पाले में कर भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है। गुजरात चुनावः कांग्रेस के जातिगत दांव को मात देने के लिए BJP चलेगी हिन्दुत्व का कार्ड..#बड़ी खबर: गुजरात में आज PM मोदी करेंगे ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ समेत कई परियोजनाओं का उद्घाटन

अब सबकी निगाहें रविवार को होने वाली पीएम मोदी के गुजरात दौरे पर है। वैसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेस के जातिगत खेल को फेल करने में अहमदाबाद में जुट गए हैं। लेकिन पीएम मोदी का गृह प्रदेश होने की वजह से सारा दबाव उन्हीं पर आन पड़ा है। भाजपा नेताओं की मानें तो वे विकास के साथ-साथ गुजरात अस्मिता और हिन्दुत्व के एजेंडे को अपरोक्ष रूप से जनता के सामने रखेंगे। 

केदारनाथ से पीएम मोदी ने दिए गुजरात अस्मिता के संदेश 
भाजपा के लिए सबसे मुश्किल बात यह है कि जातिगत राजनीति उसे रास नहीं आती है। खुद पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि बिहार में जब चुनाव जाति पर गया तो पार्टी का हश्र सबके सामने है। यूपी में भी राजनीति जब तक जाति के इर्द-गिर्द घुमती रही भाजपा की हालत पतली ही रही। 

हिन्दुत्व और विकास के मिश्रण के बदौलत भाजपा यहां भी बीते चुनाव में इतिहास बनाने में कामयाब रही। अब कांग्रेस ने हिन्दुत्व की पौधशाला कही जाने वाली गुजरात में ही भाजपा को जातिगत राजनीति के जाल में उलझा दिया है। भाजपा रणनीतिकारों की मानें तो कांग्रेस की जातिगत राजनीति के काट के लिए भाजपा अपने पुराने दांव हिन्दुत्व के एजेंडे और गुजरात अस्मिता के मुद्दे को सियासी औजार बनाएगी। शुक्रवार को केदारनाथ से पीएम मोदी ने इसके संकेत भी दिए हैं। 

बीते 16 अक्टूबर को गुजरात दौरे के दौरान भी उन्होंने यह कहते हुए गुजरात अस्मिता के मुद्दे को उठाने का प्रयास किया था कि कांग्रेस पार्टी गुजरात और गुजरातियों का भला नहीं चाहती है। केदारनाथ से भी उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में उन्होंने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए केदारनाथ मंदिर के जिर्णोद्धार की इच्छा रखी थी। लेकिन तत्कालीन दिल्ली सरकार ने उन्हें ऐसा करने से न सिर्फ रोका बल्कि सहयोग के लिए दिए 5 करोड़ के चैक को वापस कर दिया।

सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में भाजपा और उसके सभी वरिष्ठ नेता गुजरात अस्मिता के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरेंगे। साथ ही विभिन्न मुद्दों के जरिए हिन्दुत्व के एजेंडे को भी उभार देंगे। ताकि जाति की राजनीति का प्रभाव कम कर सकें। 

कारगर रहा था मंडल पर भाजपा का कमंडल

नब्बे के दशक में वीपी सिंह के आरक्षण आंदोलन यानि की मंडल राजनीति पर भाजपा का कमंडल यानि की राम मंदिर का मुद्दा भारी पड़ा था। सिंह के मंडल राजनीति की काट में लाल कृष्ण आड़वाणी ने वे जात-पात से तोड़ेंगे हम संस्कृति से जोड़ेंगे के नारे के साथ पूरे देश में राम रथ यात्रा निकाली थी। 

देश के वर्तमान पीएम मोदी तब आड़वाणी की उस यात्रा के गुजरात में रथी थे। भाजपा का यह राम दांव वीपी सिंह के मंडल राजनीति पर भारी पड़ा था। इसके बाद वर्ष 2002 की मिशाल भी सबके सामने है। गुजरात दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 128 सीटों पर जीत मिली थी। जोकि सूबे में भाजपा की एतिहासिक जीत के रूप में गिनी जाती है। यह जीत भी पार्टी को हिन्दुत्व के उत्थान के रूप में मिली थी। बाद में पीएम मोदी ने उसे विकास के रूप में तबदील किया था। 

अब करीब 25 वर्ष बाद दोबारा से अल्पेश, जिग्रेश और हार्दिक पटेल के रूप में मंडल और कमंडल की राजनीति सामने आ गई है। वह भी हिन्दुतव के प्रयोगशाला कहे जाने वाले गुजरात में। ये तीनों नेता अपने-अपने जाति वर्ग की बेहत्तरी के लिए आरक्षण से लेकर तमाम लाभ की मांग कर रहे हैं। लेकिन भाजपा को पीएम मोदी के चेहरे के बदौलत हर दंगल की तरह इस सियासी दंगल में भी जीत मिलने की पूरी उम्मीद है। यही वजह है कि नजरें पीएम मोदी पर हैं वे अपने दल को इस संकट के दौर से कैसे उबारते हैं। 

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