अहमदाबाद। गुजरात में 2002 में हुए दंगों से जुड़े नरोदा गाम नरसंहार मामले में आरोपी पूर्व बीजेपी विधायक माया कोडनानी को विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गवाह के तौर पर पेश करने की मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं, माया कोडनानी की अमित शाह समेत कुल 14 लोगों को गवाह के तौर पर पेश करने वाली याचिका भी मंजूर कर ली गई है।
माया कोडनानी पर हिंसक भीड़ के नेतृत्व का आरोप
पेशे से डॉक्टर कोडनानी पर नरोदा गाम में हिंसक भीड़ के नेतृत्व का आरोप है। नरोदा पटिया में दोषी करार दिए जाने के बाद जुलाई 2014 में हाई कोर्ट के आदेश पर कोडनानी को जमानत मिली हुई है।
विशेष अदालत के जस्टिस प्रणव बी देसाई ने आदेश में कहा, ‘याचिका में दिए गए व्यक्तियों को गवाह के रूप में सुनवाई के दौरान उचित और प्रासंगित रहने के लिए समन भेजा जाए।’ कोडनानी को नरोदा पटिया में हुए दंगे के दौरान हिंसक भीड़ का नेतृत्व करने के लिए विशेष अदालत द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। फिलहाल वो जमानत पर हैं। कोडनानी ने मार्च में अदालत में याचिका दी थी कि वो अमित शाह समेत 14 लोगों को अपने बचाव में गवाह के तौर पर पेश करना चाहती हैं।
कोडनानी ये साबित करना चाहती हैं कि 28 फरवरी 2002 को जब नरोदा गाम और नरोदा पटिया में दंगा भड़का तो वो गुजरात विधान सभा में मौजूद थीं और उसके बाद वो सोला सिविल अस्पताल और फिर घर गईं थी। नरोदा गाम में उस दिन 11 लोग मारे गए थे।
जज ने अपने आदेश में इस बात को इंगित किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इन्वेसिटिगेशन टीम (एसआईटी) ने कोडनानी की याचिका पर दिए गए समय में जवाब नहीं दायर किया। कोर्ट ने कहा कि याचिका पर आपत्ति नहीं जताए जाने के बाद आरोपी के बचाव पक्ष के गवाहों से पूछताछ के अधिकारों को संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया जा रहा है।
जज देसाई ने आदेश में कहा कि आरोपी द्वारा दी गयी गवाहों की संख्या न तो अतार्किक है और न ही तो अन्यायपूर्ण। कोडनानी का दावा किया है कि 28 फरवरी 2002 को अमित शाह उनसे गुजरात विधान सभा में और सोला सिविल हॉस्पिटल में मिले थे।