दिल्ली से सटे गुरुग्राम के शिकोहपुर जमीन घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बहाने रॉबर्ट वाड्रा की घेराबंदी की गई है। अगर मामले में हुड्डा का नाम नहीं होता तो वाड्रा पर शिकंजा कसना मुश्किल होता क्योंकि मामले में भ्रष्टाचार की धारा हुड्डा की वजह से ही जोड़ी गई है। जिस दौरान जमीन की खरीद-बिक्री की गई थी, उस दौरान हुड्डा मुख्यमंत्री यानी जनसेवक (सक्षम प्राधिकारी) थे। भ्रष्टाचार का मामला जनसेवक के खिलाफ बनता है, आम आदमी के खिलाफ नहीं। रॉबर्ट वाड्रा आम आदमी की श्रेणी में हैं।
शनिवार को नूंह निवासी सुरेंद्र शर्मा ने खेड़कीदौला थाने में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ ही डीएलएफ एवं ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के साथ ही धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। मामला दर्ज होने के बाद से ही कानून के जानकारों के बीच बहस चल रही है कि आखिर रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला कैसे बना?
राजनीतिक मामला होने की वजह से नाम छापने से मना करते हुए कानून के जानकारों ने बताया कि एफआइआर में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का भी नाम होने की वजह से भ्रष्टाचार का मामला बनता है। भ्रष्टाचार का मामला आम आदमी के खिलाफ नहीं बनता है। रॉबर्ट वाड्रा आम आदमी की श्रेणी में हैं। वह कभी भी किसी संवैधानिक पद पर नहीं रहे। वैसे जब चार्जशीट पेश की जाएगी, उस दौरान किसके ऊपर क्या धारा लगती है, साफ हो जाएगा। उसी आधार पर आगे न्यायालय में ट्रायल चलेगा।