मथुरा । सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की शक्ति अनोखी थी। उन्होंने शहर की मसानी बगीची गुरुद्वारे के कुएं के पानी को मीठा कर दिया था। चालीस दिन यहां लोगों को मानवता, भक्ति और उपकार का पाठ पढ़ाया। 14 नवंबर को गुरुनानक जयंती के मौके पर सोमवार को यहां भक्तों का सैलाब उमड़ेगा। गुरुद्वारे में अखंड पाठ शुरू हो गया है।
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गुरुनानक देव ने जिदगी में चार बड़ी यात्राएं की थीं। पहली यात्रा के दौरान अपने शिष्य मरदाना और बाला के साथ 1512 में हरिद्वार से मथुरा की मसानी बगीची पर आए थे। 40 दिन उन्होंने यहां रहकर लोगों को सेवा का पाठ पढ़ाया। संगत ने उन्हें कुएं के खारे पानी के बारे में बताया, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है।
बताया जाता है कि उसे मीठा भी कर दिया। गुरुनानक देव वृंदावन में गुरुनानक टीला भी गए थे। जब वह यहां आए थे, तो यहां बगीची थी, इसीलिए इसका नाम गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची है। यह स्थान सिख समाज के लिए पवित्र और धार्मिक स्थल है। यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।
सोमवार को इस गुरुद्वारे में अखंड पाठ का समापन होगा। सबद कीर्तन के आयोजन होंगे। गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी गोपीसिह ने बताया, सोमवार को सबद कीर्तन, लंगर और प्रसाद वितरण होगा।
गुरुद्वारा गुरुनानक बगीगी का जीर्णोद्धार वर्ष 2006 में शुरू हुआ था। अब भी कार्य चल रहा है। गुरुनानक देव के चरण यहां पड़ने के कारण यह स्थल सिख समाज के लिए बेहद पवित्र स्थल है।