हम आज से गुरु श्री पवन जी की धर्मपत्नी गुरु माँ कविता अस्थाना जी के द्वारा लिखी जा रही डायरी यहाँ पोस्ट करेंगे. पोस्ट का उद्देश्य किसी धर्म को बढ़ावा देना नहीं है. यह एक गुरु की पत्नी का उनके साथ संवाद का सीधा सादा प्रस्तुतीकरण है और एक प्रयास है आध्यात्मिक मार्ग पर चल रहे लोगों की दिनचर्या को थोडा समीप समीप से देखकर उसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाना है.
कविता अस्थाना
17 फरवरी रात्रि 22:19 ·
17 फरवरी 17….आज सुबह जब उठी तो श्रीगुरुजी कक्ष में अपनी कुर्सी पर बैठे थे। मैं उनके पास गई और धीरे से बोली, ” क्या हुआ ? ” उनकी तन्द्रा टूटी, बोले, ” देखो, 2010 में अपनी सारी जमा – पूंजी लगा कर हमने ये ज़मीन खरीदी थी, तब क्या सोचा था कि यह स्थान इतना सुन्दर, इतना दिव्य बन जाएगा…।”
कविता अस्थाना
18 फरवरी रात्रि 22:14 ·
18 फरवरी 17….आज सुबह ‘ ये ‘ अलमारी से किताबें निकाल-निकाल कर बिस्तर पे इकट्ठी करते जा रहे थे।मैं थोड़ी देर पहले ही बिस्तर व्यवस्थित कर के गयी थी…बिस्तर की हालत देख कर, मैं कुछ कहने ही वाली थी कि मेरी तरफ देख कर श्रीगुरुजी बोले, ” अभी कोई प्रश्न नहीं, मुझे बहुत तैयारी करनी है, कल भारतीय संस्कृति पर मेरा lecture है।”
” आप को क्या तैयारी करनी है, आप तो बिना रुके हफ़्तों बोल सकते हैं,” मैंने कहा। उन्होंने भौं उठा कर मेरी ओर देखा ….,”मेरा मतलब है ,आपको तो इतना कुछ आता है, आपको तैयारी की क्या ज़रूरत ” , मैंने अपने शब्दों को ठीक किया।
” बिलकुल नहीं, भारत के बारे में जितना भी जान लो, उतना कम है, कोई 1000-2000 साल पुराना इतिहास नहीं है हमारा, कम से कम 75000 साल पुराना है… और बिना तैयारी के कोई भी काम नहीं करना चाहिए, खासतौर से जब आप मंच पर बोलते हों , मंच से बोलना एक बड़ा दायित्व है …बिना तैयारी किये जब कोई बोलता है तो वह बिखर जाता है …जब विषय पर पकड़ नहीं होती, तो वक्ता शब्दों से खेलता है, फिर जनता को विचार देने के बजाय , शब्द जाल में फंसाता है और यह मेरी दृष्टि में पाप से कम नहीं। “
कितनी सटीक बात…’ बिना तैयारी ज्ञानी को भी नहीं बोलना चाहिए क्योंकि ज्ञान देना एक बड़ा दायित्व है ‘….मैंने साड़ी के पल्लू में यह बात गाँठ मारी और किताबें निकलने में मदद करने लगी
” नहीं “, एक गहरी सांस लेते हुए मैं उनके पैरों के पास नीचे बैठ गयी, ” पर माता रानी पर मेरी असीम श्रद्धा और आप पर अगाध विश्वास…मुझे अपनी जमा पूंजी लगाते हुए ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं हुई। “
उन्होंने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और बोले, ” हमारे परिवार की भी हिम्मत थी, तभी तो हम यहाँ तक आ सके….और देखना आने वाले समय में देश में जो क्रांति होगी, उसमें इस आश्रम का भी नाम होगा और इतिहास के पन्नों में इस आश्रम का नाम होगा, तभी तो मैं चाहता हूँ कि हमारे परिवार के लोग ऐसा आचरण करें , इतने संस्कारवान, ज्ञानवान बनें जो औरों के लिए उदहारण हो।”
” ॐ ” , आँखें बंद कर ,मैंने मन ही मन कहा
कविता अस्थाना
19 फरवरी रात्रि 21:06 ·
19 फरवरी 17…. श्रीगुरुजी , आज आश्रम के कुछ बच्चों के साथ बैठे थे, ये वो बच्चें हैं जिन्होंने ‘इनके ‘ जीवन उद्देश्य में अपना लक्ष्य देख लिया है …इन्हें श्रीगुरुजी स्वयं प्रशिक्षित कर रहे हैं जिससे वे अपने जीवन में कुछ विशेष कर , वह उपलब्धि देश को समर्पित कर दें।
किसी बात पर वे बोले, ” मैकॉले ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से हमारी जड़ें खोखली कीं जिस कारण हम आज तक मानसिक रूप से ग़ुलाम हैं… इस स्थति से निपटने के लिये हमें अपने इतिहास, धर्म, शास्त्र, विज्ञानं के प्रति लोगों को जागरूक करना होगा, जिससे हमारा खोया हुआ ‘विश्व गुरु’ का सम्मान हमें वापस मिल सके और यह किसी युद्ध से कम नहीं होगा…और जो technique use होगी उसे कहते हैं psychological warfare….मैकॉले ने अपने देश की खूबियां बता कर हमारा जो आत्मविश्वास हिला दिया है, हम वापस अपने लोगों के मन में अपनी संस्कृति के प्रति बस वह विश्वास जगा दें….
यह सुनकर उन बच्चों के दिल में जोश भर गया… दिख रहा था उनकी आँखों में…और क्यों न हो ….वे इस अनोखी लड़ाई के सिपाही जो बनने जा रहे थे..
20 फरवरी 17… आज दोपहर मेरी और श्रीगुरुजी की बातचीत चल रही थी, विषय था मेरी कल की पोस्ट…।मैंने कहा,” अब जब आपको leakage के बारे में पता चल ही गया है तो बता देती हूं,कि कल मुझसे कोई सज्जन मैकॉले को लेकर उलझ गए….” । वे कोई किताब पढ़ रहे थे, जिसे बंद कर उन्होंने बात जानने की उत्सुकता दिखाई। मैंने उन्हें पूरी बात बताई …और यह भी बताया कि कुछ और लोगों ने भी उस पोस्ट पर हुए कमेंट के जवाब में अपने विचार रखे ।
वे बोले, ” मुझे ख़ुशी है कि लोग चर्चा और संवाद करने लगे हैं पर इसके लिए उन्हें विषय की पूरी जानकारी होनी चाहिए और इसके लिए अध्ययन आवश्यक है ….तभी तो आश्रम के चार प्रकल्पों में से एक है ‘ स्वाध्याय ‘…. कम से कम आश्रम के लोगों को तो खूब पढ़ना ही चाहिए और उनकी भाषा – संयत, शैली – विनम्र, विचार – ज्ञान और तर्क पर आधारित हों और विचार की प्रस्तुति में अहम् नहीं होना चाहिए।”
अपने परिवार के defense में मैं तुरंत आयी और बोली, ” परिवार के तो अधिकतर लोग पढ़ते हैं और उनकी भाषा भी मर्यादित, विनम्र है …हां जो ऐसे नहीं हैं, वह भी धीरे – धीरे परिवर्तित हो रहे हैं।”
उन्होंने तिरछी नज़र से मुझे देखा और किताब वापस उठा ली।
” अरे ,सच कह रही हूँ…” मैंने कहा।
” अच्छा मुझे चाय नहीं पिलाओगी…” ,कह कर ‘ ये ‘ मुस्कुरा दिए।
कविता अस्थाना
21 फरवरी रात्रि 21:23 ·
21 फरवरी 17….आज श्रीगुरुजी बड़े प्रसन्न थे।
वे जब 18 साल के थे,तब से casio खरीदना चाह रहे थे, तब casio बहुत महंगे हुआ करते थे।धनाभाव के कारण वह तब खरीद न सके, जब धन आया भी तो उन्हें लगा कि अपने शौक पर खर्च करने के बजाय, वे आश्रम के कार्यो में खर्च करें तो बेहतर होगा। नतीजा यह हुआ कि casio की ख्वाहिश मन में ही रह गयी….और आज एक परिवार सदस्य ने एक बहुत ही बेहतरीन Casio उपहार में भिजवाया।
‘ ये ‘ आश्रम में नीचे टहल रहे थे, Casio देखते ही सारी बात-चीत छोड़ कर, तुरंत अपने कक्ष में चले गए और तकरीबन एक घंटा casio बजाया…. चाय रखे -रखे ठंडी हो गयी….फ़ोन भी कई बार बज कर शांत हो गया पर ‘ ये ‘ अपनी धुन में थे। किसी आगंतुक के आने पर जब उठे, तो बोले, “अब इसे अंदर रखवा दो, मैं अपने गुरूजी को casio बजा कर सुना चुका।आज मेरी 28 साल की इच्छा पूरी हुई ,” कहते हुए ये थोड़े भावुक हो गए…
मैंने माहौल बदलने के लिए कहा,” चलो अच्छा हुआ, casio आ गया, संगीत मण्डली के एक सदस्य का पैसा बचा करेगा।” ये खिलखिला कर हंस पड़े और आगंतुक से मिलने चले गए….औऱ मैं यह सोचती रह गयी कि जो ये ख़ुशी – ख़ुशी casio बजा रहे थे, वह अपने आनंद के लिए नहीं… अपने गुरु, स्वामी विवेकानंद जी के चित्र के समक्ष बैठकर उनको सुना रहे थे…. गुरु के प्रति उनके समर्पण को नमन…
कविता अस्थाना
22 फरवरी रात्रि 21:10 ·
22 फरवरी 17…आने वाले शिवरात्रि अनुष्ठान के लिए बहुत सी तैयारियां बाकी हैं, सो कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं बैठ कर pending list बनाने लगी।हालाँकि मैं table lamp जला कर काम कर रही थी पर शायद light जलने से इनकी भी आँख खुल गई। ” क्या हुआ, कैसे जाग रहीं हैं आप ? ” श्रीगुरुजी ने पूछा।
“शिवरात्रि अनुष्ठान के लिए कामों की लिस्ट बना रही हूं।” मैंने कहा। वे भी वहीँ बैठ गए और शिवरात्रि की चर्चा चल निकली।
” पार्वती तो मृत्यु लोक में थीं फिर शंकर जी से उनका विवाह कैसे हुआ , हर जन्म में वह शिव को पाती रहीं,तो क्या शिव पर समय का कोई प्रभाव नहीं पड़ा, क्या भगवान और मनुष्य में ऐसा सम्बन्ध संभव है….”मैंने प्रश्नों की बौछार लगा दी।
“अरे बस,बस… सब प्रश्नों के उत्तर आपको उस दिन मेरे उदबोधन में मिल जाएंगे, ….।” श्रीगुरुजी ने कहा।
” अच्छा, कम से कम इस प्रश्न का उत्तर तो अभी दे ही दीजिये,…क्या विष्णु जी का विवाह शंकर जी से पहले हो गया था, अगर नहीं , तो एक राजा की कन्या ने शिव को ही क्यों चुना , विष्णु को क्यों नहीं…. विष्णु अति मनमोहक थे,शिव तो औघड़….?
” जैसे आपने ….,” कहकर ये हँसते हुए सोने चले गए… और मैं मुस्कुरा कर रह गयी।
कविता अस्थाना
23 फरवरी 17….21 hrs ·
सुबह श्रीगुरुजी studio जाने के लिए तैयार हो रहे थे। मैं शिवरात्रि से related किसी से phone पर बात कर रही थी,” देखो, शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक नहीं , दुग्ध मिश्रित जलाभिषेक होगा।” मेरी यह बात सुनकर श्रीगुरुजी बोले, ” हाँ …ठीक से समझा दीजियेगा , भोले बाबा को दूध नहीं चाहिए, उनके देश के बच्चों को चाहिए। लोगों को चाहिए कि बाबा को प्रतीक रूप में बस एक चम्मच दूध चढ़ाएं बाकी ज़रूरतमंद बच्चों को बाँट दें। ”
“जी , जी, यह सब बात हो गयी है ” , मैं बोली, पर ये अपने mood में आ चुके थे…बोले, ” लोग शिव की पूजा करने के नाम पर, जल उड़ेल आते हैं लेकिन ध्यान नहीं करते, जबकि शिव ही योग के जनक हैं..शिव उपासना , बिना ध्यान पूरी ही नहीं होती…आश्रम के अनुष्ठान में इन सब बातों का ध्यान जरूर रखियेगा। “
” आप बिलकुल चिंता न करें, जैसा आप चाहते हैं, वैसा ही होगा ….”,मैंने कहा।
अचानक इनकी नज़र घड़ी पर पड़ी, ” अरे नौ बजे गए….मैं late हो रहा हूँ, आप हमेशा मुझे बातो में लगा लेती हैं…।”
” जी ? मैं… मैं तो फ़ोन…. आप ही ….”
” राम राम , जा रहा हूँ…” और ये studio चले गए।