गोरखपुर जिला अस्पताल में मानवता को हिला देने वाला मामला सामने आया है। यहां व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। मेडिकल कालेज पास स्थित फतेहपुर डिहवा गांव की एक गर्भवती को मारपीट में घायल होने के बाद बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। इस बीच डाक्टरों ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए जिला अस्पताल भेजा। एक्सरे कक्ष से उसे भगा दिया गया। अल्ट्रासाउंड कक्ष में जब पहुंची तो बताया गया कि मशीन खराब है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक की बात भी कर्मचारी नहीं सुने। लगभग साढ़े तीन घंटे तेज धूप में भागदौड़ करने के बाद वह निराश होकर वापस चली गईं।

ये है पूरा मामला: नबीरुन्निशा गर्भवती हैं। मारपीट में वह घायल हो गई हैं। पैर में चोट लगने की वजह से चलने में भी दिक्कत है। लेकिन कर्मचारियों ने उनकी पीड़ा नहीं समझी। इधर से उधर उन्हें भेजते रहे। उनकी सास गुड़िया उन्हें लेकर भटकती रहीं। जब किसी ने नहीं सुनी तो वह प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. जेसएसपी सिंह से मिलीं। उन्होंने कहा कि जाकर एक्सरे व अल्ट्रासाउंड कक्ष में बता दो कि 15 नंबर कमरे (प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कक्ष) से साहब ने भेजा है। गुड़िया ने बताया कि एक्सरे टेक्नीशियन को उन्होंने बताया कि 15 नंबर कमरे से साहब ने भेजा है तो उसने कहा कि उनका तो काम ही है भेजना। आज नहीं हो पाएगा, अब कल आना।
अल्ट्रासाउंड कक्ष में टेक्नीशियन ने ठीक से की बात: जब वह अल्ट्रासाउंड कक्ष में पहुंची तो 15 नंबर कमरे का नाम लेने पर टेक्नीशियन ने ठीक से बात की। उसने कहा कि पहले आप महिला अस्पताल में स्वास्थ्य परीक्षण कराकर आइए, उसके बाद अल्ट्रासाउंड होगा। वह फोटो नहीं लाई थीं, इसलिए उनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं हो पाया। निराश होकर घर लौट गईं। उनका कहना है कि कल फोटो लेकर आएंगी। स्वास्थ्य परीक्षण कराने के बाद एक्सरे व अल्ट्रासाउंड कराएंगी।
जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. जेएसपी सिंह ने बताया कि यदि किसी कर्मचारी ने 15 नंबर कमरे का नाम लेने पर रोगी से ठीक से बात नहीं की है तो उसकी पहचान कराई जाएगी। यह कहना तो बिल्कुल गलत है कि उनका तो काम ही है भेजना। ऐसे कर्मचारी को चिह्नित कराकर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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