रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने अभी तक रामगढ़ ताल रेलवे कालोनी के व्यावसायिक विकास के लिए टेंडर तक फाइनल नहीं कर पाया है। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन कर्मचारियों के लिए नया आवास भी तैयार नहीं किया है। लेकिन कालोनी के क्वार्टरों की खिड़कियां, जंगले और फाटक आदि टूटने लगे हैं। बिना सूचना के ध्वस्तीकरण देख कालोनी में रहने वाले रेलकर्मियों और उनके स्वजन दहशत में है। उनका आरोप है कि नीचे रेलकर्मियों का परिवार रह रहा है, ऊपर तोड़फोड़ शुरू है। संबंधित इंजीनियर बिना क्वार्टर आवंटित किए कालोनी छोड़ने का दबाव बना रहे हैं। दूसरी कालोनियों में जो क्वार्टर दे रहे हैं, वह रहने लायक नहीं है। आखिर हम कहां जाएं।
रेलकर्मियों का आरोप, बिना सूचना के शुरू हो गई है तोड़फोड़
कालोनी केयर कमेटी के सदस्य अतुल कुमार सिंह 25 वर्ष से परिवार सहित रामगढ़ ताल रेलवे कालोनी में रह रहे हैं। लेकिन अभी तक उन्हें दूसरा क्वार्टर नहीं मिला है। जबकि, उनके बगल वाले क्वार्टरों में तोड़फोड़ शुरू है। उनका कहना हैं कि ध्वस्तीकरण देख बच्चे डरने लगे हैं। अधिकतर परिवार तो भय के चलते प्राइवेट क्वार्टरों में रहने लगे हैं।रेलवे प्रशासन विकास के नाम पर कर्मचारियों और उनके परिवार को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है। वर्ष 2009 से रह रहे रेलकर्मी भंवर सिंह ने बताया कि कालोनी में करीब 200 आवास हैं। लेकिन रेलवे के दबाव के चलते अधिकतर ने कालोनी छोड़ दी है।
क्वार्टरों में रह रहे लोगों में दहशत
हालांकि, जिन 40 से 45 रेलकर्मियों की अभी तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हुई है, वे अभी भी कालोनी में रह रहे हैं। अब कालोनी में रहना दूभर हो गया है। लोग डर और भय के माहौल में रह रहे हैं। संजय मालवीय ने बताया कि उनके ब्लाक में परिवार रहता है, इसके बाद भी तोड़फोड़ शुरू है। कालोनी के विकास के लिए अभी तक कोई कंपनी नहीं मिली है। इसके बाद भी रेलवे प्रशासन को कालोनी ध्वस्त करने की जल्दी है।
समाप्त हो गया टेंडर का समय
आरएलडीए ने रामगढ़ ताल रेलवे कालोनी के विकास के लिए पांच मई तक टेंडर आमंत्रित किया था। टेंडर का समय समाप्त हो गया है। जानकारों के अनुसार दिल्ली में टेंडर खुलेगा। देखना है कि आरएलडीए के शर्तों पर कोई कंपनी ने रुचि ली है या नहीं। इसके पहले भी दो बार टेंडर निकल चुका है। लेकिन किसी कंपनी ने रुचि नहीं दिखाई है। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर आरएलडीए ने रामगढ़ ताल कालोनी की लगभग 32 हजार स्क्वायर मीटर भूमि पर लेक व्यू अपार्टमेंट बनाने की याेजना तैयार की है। भूमि 99 साल के लिए लीज पर दी जाएगी। उसके बाद वह फिर से रेलवे की हो जाएगी।
विरोध में उतरे कर्मचारी संगठन, खोला मोर्चा
बिना आवास तैयार किए कालोनी तोड़े जाने को लेकर कर्मचारी संगठन विरोध में उतर आए हैं। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता का कहना है कि यह कर्मचारियों और उनके स्वजन का उत्पीड़न है। प्रकरण को मंत्रालय के समक्ष उठाया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) के महामंत्री विनोद कुमार राय का कहना है कि रेलवे प्रशासन कर्मचारियों को बसाने के बाद ही कालोनी को ध्वस्त करे। अन्यथा संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
चार ब्लाकों को ध्वस्त करने के लिए टेंडर निकाला गया है। रेलकर्मियों को आवास आवंटित किए जा रहे हैं। नए आवास बनाने की भी प्रक्रिया शुरू हो गई है। रेलकर्मियों को आवास देने के बाद ही क्वार्टर ध्वस्त किए जाएंगे।