कोरोना संक्रमितों से सभी सरकारी और निजी कोविड अस्पताल फुल हो गए हैं। इक्का-दुक्का अस्पतालों में एक-दो सामान्य बेड ही खाली हैं। कोविड कमांड सेंटर से गुरुवार रात आठ बजे बेड खाली न होने की रिपोर्ट भेज दी गई है। कमांड सेंटर में 17 से ज्यादा मरीजों का नाम वेटिंग में दर्ज किया गया है। स्वजन को बताया गया है कि जगह खाली होते ही सूचना दी जाएगी। कर्मचारियों ने बताया कि 24 मरीजों को भर्ती कराया गया है। जिन मरीजों को जगह नहीं मिल पा रही है उनके स्वजन कर्मचारियों को ही भला-बुरा कह रहे हैं।
अस्थायी अस्पताल अब तक नहीं शुरू
पिछले सालवीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कालेज को अस्थायी अस्पताल बनाया गया था। यहां अलाक्षणिक मरीजों को रखा जाता था। इसके साथ ही रेलवे अस्पताल और एयरफोर्स अस्पताल में भी इलाज किया जाता था। दो निजी अस्पतालों में अब तक मरीज नहीं भर्ती किए गए। इनमें से एक को बंद बताया जा रहा है।
बड़े अस्पतालों में ठीक, छोटे में आक्सीजन की कमी
शहर के बड़े अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति ठीक है। हालांकि कुछ छोटे अस्पतालों में आक्सीजन की कमी है। फिर भी कोरोना संक्रमितों को पर्याप्त आक्सीजन दी जा रही है।
वेंटिलेटर न मिलने से हुई मौत
जगन्नाथपुर के 60 वर्षीय सत्यनारायण गुप्ता को मेडिकल कालेज में वेंटिलेटर युक्त बेड नहीं मिल सका। उनका आक्सीजन का स्तर 40 पहुंच गया था। इलाज के अभाव में गुरुवार को उनकी मौत हो गई। स्वजन का आरोप है कि तकरीबन 10 दिन पहले होम आइसोलेशन में सत्यनाराण को सांस लेने में दिक्कत हुई तो 17 हजार रुपये में दो आक्सीजन सिलेंडर मिले। रुस्तमपुर के पास स्थित इंदिरानगर से मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए ले जाने का एंबुलेंस चालक ने आठ हजार रुपये वसूला। यह दूरी तकरीबन सात किलोमीटर है।