गोरखपुर शहर के प्रदूषण फैलने की मुख्य वजह धूल के बाहरी कणों की हवा में मौजूदगी है। 10 माइक्रोन और 2.5 माइक्रोन से छोटे धूल के बारीक कणों की संख्या में रातों रात जबरदस्त इजाफा हुआ। सोमवार की सुबह सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम 2.5) की हवा में मात्रा 500 माइक्रोग्राम से अधिक रही।
गोरखपुर में दिवाली की रात पटाखों के शोर ने जहां लोगों को चैन से सोने नहीं दिया वहीं, जमकर हुई आतिशबाजी से शहर की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई। महल 24 घंटे में ही प्रदूषण पांच गुना बढ़ा गया। रविवार की सुबह जहां एक्यूआई का स्तर 62 था, सोमवार की रात को यह आंकड़ा 300 तक पहुंच गया।
जहरीली हवा में सबसे ज्यादा दिक्क्त सांस के रोगियों को हुई। मार्निंग वॉक पर निकले लोगों का दम घुटने लगा और आंखों में जलन होने लगी। कुछ लोग तो बिना टहले ही लौट गए। मंगलवार को दिन में नगर निगम ने निर्माण वाले स्थलों पर पानी का छिड़काव कराया, जिसके बाद एक्यूआई घटकर 178 पर आया और प्रदूषण के स्तर में सुधार हुआ।
दिवाली से एक दिन पहले दिल्ली में हुई हल्की बारिश के चलते हवा साफ हो गई थी। एक्यूआई 62 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। यह इस महीने की सबसे स्वच्छ हवा थी। लेकिन, दोपहर बाद इसमें बदलाव शुरू हो गया। दिवाली की रात उत्साह में देर रात चले पटाखों के शोर व धुएं का असर सोमवार की सुबह दिखा। सोमवार की सुबह 8 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 288 पहुंच गया।
वहीं शाम चार बजे इस आंकड़े ने 300 को छू लिया। मंगलवार की सुबह तारामंडल, नया सवेरा और ह्वी पार्क में टहलने गए बुजुर्ग लोगों को सांस लेने में दिक्क्तें होने लगी। बेतियाहाता के संजीव कुमार ने बताया कि सुबह आंखों में जलन होने लगी तो मैं बिना टहले ही लौट आया। वहीं, शाहपुर के शैलेश ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत होने लगी। मेरे साथ गए कई लोग लौट आए।
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