गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कथित तौरपर ऑक्सीजन खत्म होने से अबतक 60 से ज्यादा बच्चों की मौत के लिए योगी सरकार को कौनसे वाले के लिए ये बात जरुरी है कि सरकार ने मुस्तैदी दिखाते हुए 1978 से इस क्षेत्र में बच्चों कि मौत कि वजह का पता लगा लिया है। अस्पताल में ऑक्सीजन कि कोई कमी नही है और सरकार के साथ प्रशासन भी पूरी मुस्तैदी से अपना काम कर रही है।
‘अगस्त’ है बच्चों का कातिल
गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी) में कथित तौरपर ऑक्सीजन कि कमी से 60 से ज्यादा बच्चों की मौत को दर्दनाक घटना बताते हुए कहा जा रहा है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन कि वजह से नहीं बल्कि गंदगी के कारण हुई है। बच्चों कि मौत कि वजह बताते हुए कहा गया है कि, इस क्षेत्र में इंसेफेलाइटिस बीमारी साल 1978 से फैली हुआ है।
इंसेफेलाइटिस की वजह से बीते तीन साल अगस्त 2014 में 567, अगस्त 2015 में 558 और अगस्त 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई है। इस बिमारी कि वजह से पूर्वी यूपी के मासूम बच्चे असमय मौत का शिकार बन रहे हैं। इसके पीछे की असल वजह गंदगी और खुले में शौच करना है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह एक संकट कि स्थिति है और हमें इसका समाधान निकला है।
मीडिया के हीरो डॉक्टर कफील पर भी शक
इस मामले में शक कि सुई अब मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और मीडिया के हिरो कफील अहमद कि ओर घुम गई है। ये तो हम सभी जानते हैं कि मीडिया हमेशा से एक ख़ास धर्म के प्रति हमेशा से हमदर्दी रखता है और किसी भी मामले में इस धर्म के लोगों को हिरो बनाने से नहीं चुकाता। खबर के मुताबिक डॉ. कफील अहमद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट का चीफ नोडल ऑफिसर होते हुए भी अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस करते रहता है।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि कफील ने पद का दुरुपयोग कर अस्पताल के लिए उपलब्ध कराये गए ऑक्सीजन सिलेंडरों का इस्तेमाल अपने निजी क्लीनिक में भी किया करता था। कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा दोनों एक दुसरे के खास हैं। ये बात भी सामने आ रही है कि डॉ. कफील मेडिकल कॉलेज को खरीद कमेटी का मेंबर होने के नाते अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के बारे में पता था।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features