गोवा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पिछड़ने के बाद भी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल और सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ गई. अब बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के आसानी से विश्वास मत हासिल करने के बाद पार्टी के सूत्रों के मुताबिक अब गोवा में बीजेपी के गेम प्लान के बारे में बातें छनकर आ रही हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुताबिक 11 मार्च को जब नतीजे आए तो राज्य की 40 में से 13 सीटों पर बीजेपी और 17 पर कांग्रेस को जीत मिली. अमित शाह ने बिना देर किए हुए उसी शाम नितिन गडकरी को फोन कर मिलने के लिए कहा. उसके आधे घंटे के भीतर गडकरी, अमित शाह से मिलने पहुंचे. उस वक्त शाम सात बज रहे थे. अमित शाह ने गोवा राज्य की इकाई के प्रमुख गडकरी से गोवा के राजनीतिक हालात पर लंबी बातचीत की. इस दौरान गडकरी ने कहा कि राज्य में बीजेपी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिला लेकिन शाह बोले कि हमें ही गोवा में सरकार बनानी है और तत्काल गोवा जाने के लिए कहा.
शह और मात का खेल
उसके बाद अविलंब नितिन गडकरी गोवा पहुंचे. वहां सबसे पहले पार्टी और सहयोगी दलों से यह चर्चा हुई कि आखिर गोवा की कमान कौन संभालेगा. वहीं से मनोहर पर्रिकर की वापसी की चर्चा शुरू हुई. पर्रिकर से भी राय ली गई. इस बीच रात डेढ़ बजे एमजीजी के नेता सुदिन धवलीकर से गडकरी की मुलाकात हुई. इन दोनों की नेताओं की पुरानी पहचान थी. उसी पुरानी दोस्ती के आधार पर नितिन गडकरी ने तीन विधायकों वाली एमजीपी का समर्थन सुदिन से मांगा. उसके बाद गोवा फारवर्ड पार्टी के नेता विजय सरदेसाई भी गडकरी से मिले. इस पार्टी के भी तीन विधायक हैं. इन दोनों दलों ने समर्थन की यह शर्त रखी कि यदि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को फिर से बीजेपी गोवा का मुख्यमंत्री बनाएंगे तो वे समर्थन देंगे.यह एक बड़ी मांग थी. लिहाजा गडकरी ने सुबह पांच बजे अमित शाह को फोन किया और उनको सारी बातें बताईं. शाह ने कहा कि वह सुबह सात बजे पीएम मोदी को फोन कर स्थिति से अवगत कराएंगे. उसके बाद ही पर्रिकर की वापसी पर कुछ कहने की स्थिति में होंगे क्योंकि पर्रिकर की वापसी का फैसला बीजेपी का संसदीय बोर्ड करेगा.
उसके बाद सुबह साढ़े आठ बजे अमित शाह ने गडकरी को फोन कर बताया कि इस बारे में पीएम समेत उनकी सभी संबंधित लोगों से बात की है और सभी ने कहा है कि यदि बीजेपी गोवा में सरकार बनाने की स्थिति में है और पर्रिकर वापस लौटने को तैयार हों तो अपेक्षित समर्थन की स्थिति में प्रयास किए जाने चाहिए. उसके बाद बीजेपी की राह आसान होती गई और सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस राजभवन से केवल इसी आधार पर निमंत्रण का इंतजार करती रह गई और बीजेपी ने 22 विधायक जुटाकर आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features