घंटों बैठे रहने की आदत दे सकती है आर्थराइटिस

अक्सर लोगों से सुनने में आता है कि कमर जकड़ जाती है या पीठ में दर्द रहता है। इसी तरह अगर आप घंटों बैठे रहते हैं तो घुटनों व जोड़ों से संबंधित आर्थराइटिस हो सकता है। इसमें कटोरी की हड्डी जिसे हम पेटेलोफिमोरल ज्वाइंट कहते हैं, उसकी समस्या बढ़ जाती है। हड्डियों और जोड़ों को सही रखने के लिए आपको नियमित व्यायाम करने की आदत डालनी होगी।

वजन नियंत्रण में रखना क्यों जरूरी?

वजन नियंत्रण में रहने पर आप आर्थराइटिस से काफी हद तक बचे रहेंगे। हड्डियों और जोड़ों को सही रखने के लिए आहार में कैल्शियम को शामिल करना चाहिए और प्रतिदिन आधा घंटा सूरज की रोशनी में रहने का प्रयास करना चाहिए।

अगर चलते फिरते समय जोड़ों में तकलीफ महसूस होती है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हालांकि, आर्थराइटिस की समस्या के पीछे केवल लगातार बैठे रहना ही एक मात्र कारण नहीं है, कई अन्य कारणों से भी आर्थराइटिस हो सकता है।

कम उम्र में भी हो रही है हड्डियों की समस्या

खानपान की आदत गलत है, लोग संतुलित दिनचर्या का खयाल नहीं रखते, यही आगे जाकर आर्थराइटिस जैसी परेशानी का रूप ले लेती है। जोड़ों की समस्या से बचना है तो बचपन से ही जीवनशैली को सही रखना होगा।

खानपान में ध्यान रखना जरूरी

भोजन में कैल्शियम, प्रोटीन के साथ विटामिन डी बहुत आवश्यक है। पूरे कपड़े पहनकर सूर्य की रोशनी में जाएंगे तो उसका असर नहीं होगा। आपकी त्वचा सूर्य के प्रकाश में आनी चाहिए। कैल्शियम की भरपाई के लिए दुग्ध और इससे बने उत्पादों को भोजन में शामिल करना चाहिए। इसके लिए कुछ फलों, मेवे, रागी जैसे मोटे अनाज आवश्यक हैं । शरीफा एक बहुत उपयोगी फल है। प्रोटीन के लिए दालें, सोयाबीन, राजमा, दूध ले सकते हैं।

आर्थराइटिस के लक्षण

सबसे सामान्य लक्षण है दर्द और सूजन।

समस्या बढ़ने के बाद चलने-फिरने, सीढ़ी चढ़ने में परेशानी होने लगती है।

आगे चलकर डिफार्मिटी हो जाती है, जैसे पैर टेढ़े होने लगते हैं।

क्या इसे पुरानी स्थिति में लाया जा सकता है?

तो जवाब है नहीं। जितने बदलाव हो चुके हैं, उन्हें वापस नहीं किया जा सकता, लेकिन बदलाव की गति को आप धीमा कर सकते हैं। इसके लिए खानपान, व्यायाम पर ध्यान देना होगा | कुछ आर्थराइटिस इन्फ्लेमेटरी होते हैं, जैसे रुमेटाइड आर्थराइटिस । इसके पीछे अन्य कारण होते हैं, इसमें खानपान का कोई रोल नहीं होता है।

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