घरों में काम करने वाला ये लड़का बना एशियाई चैम्पियन और अब खेल रहा ओलंपिक
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भारत एक ऐसा देश है जहां क्रिकेट ने ऐसा मुकाम हासिल कर लिया है की अन्य खेलों को खेलने में रूचि रखने वाले लोगों की कम ही संख्या है। यही वजह है की 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में बहुत कम लोग ओलंपिक चैम्पियनशिप प्रोडक्ट बन कर उभरते हैं। दत्तू बबन भोकानल उन कुछ खिलाड़ियों में से हैं जिन्होंने क्रिकेट से हट कर कुछ नया करने की ठानी। दत्तू का जन्म 5 अप्रैल को नासिक डिस्ट्रिक्ट के छोटे से गांव में हुआ था। चलिए जानते भारत के इस होनहार खिलाडी के एशियाई चैम्पियन बनने से लेकर ओलंपिक तक पहुंचने के सफर की कहानी।#tosnews
गरीबी से उठ कर रोवर बनने ठानी #tosnews
दत्तू महाराष्ट्र के नासिक के छोटे गाँव से हैं। उनका जन्म बेहद गरीब परिवार में हुआ था। उनके माता पिता पेशे से दिहाड़ी लेबर थे। जिस वजह से कम उम्र में ही दत्तू को स्कूल छोड़ना पड़ा। परिवार का हाथ बटाने के लिए दत्तू कभी शादी, पार्टियों में वेटर का काम करते तो कभी खेतों में ट्रैक्टर चालते थे। इसके अलावा काम होने पर हेल्पर का काम भी करते थे। एक्स्ट्रा घर खर्च के लिए कई महीनों तक पेट्रोल पंप पर ओवर टाइम काम भी किया। किसी तरह से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए एक बार फिर स्कूल जाना शुरू किया लेकिन 2010 में पिता के देहांत की वजह से हाई स्कूल करने के बाद पढ़ाई पूरी न कर सके। #tosnews
इंडियन आर्मी ज्वाइन करके पर बदली किस्मत #tosnews
पिता के देहांत के बाद ही 2012 में उन्होंने इंडियन आर्मी का फिजिकल टेस्ट क्रॉस करके हवलदार की पोस्ट पर आर्मी ज्वाइन कर ली। दत्तू ने अपने रोइंग करियर की शुरुआत 2012 में पुणे के बॉम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप एंड सेंटर से की थी। इसके बाद ही उनके अच्छे परफॉरमेंस की वजह से आर्मी रोइंग नोड यानि ARN में अच्छी ट्रेनिंग के लिए बुला लिया गया। हाल फिलहाल दत्तू द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित हुए ट्रेनर इस्माइल बेग के अंडर में ट्रेनिंग कर रहे है। #tosnews
रियो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले अकेले रोवर हैं दत्तू #tosnews
दत्तू ने 2016 में हुए रियो ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधत्व करने वाले अकेले खिलाडी थे। इसके साथ ही ऐसा करने वाले 9 वें रोवर भी। दत्तू ने साउथ कोरिया में खेली गई ओलम्पिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में 7 मिनट और 7.63 सेकण्ड के समय में गेम पूरा कर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। ओलंपिक में उन्होंने 6 मिनट और 54.96 सेकण्ड के समय के साथ 13 वीं रैंक हासिल की थी। दत्तू ने साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों की मेन्स क्वाडरपल स्कल्स इवेंट में 6 मिनट और 17.13 सेकंड का समय निकाल कर गोल्ड मैडल भी अपने नाम किया था। रोइंग के खेल में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें साल 2020 में अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें शिवाजी छत्रपति अवार्ड से भी सम्मानित किया है। इसके साथ ही दत्तू दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित फोर्बेस मैग्जीन का हिस्सा भी बन चुके हैं। #tosnews
-ऋषभ वर्मा
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