आपके घर में पानी सप्लाई का पाइप, टोटियां आदि जंग लगकर जल्दी खराब हो रहे हैं तो समझिए कि आपकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसा इस लिए हो रहा है, क्योंकि आपूिर्त वाले पेयजल में बहुत अशुद्धियां हैं। आप अगर सोचते हैं कि लोहे में जंग लगने का कारण पानी होता है तो इस भ्रम को दूर कर लीजिए। दरअसल, वजह होते हैं पानी में घुलित तत्व, जिनकी असंतुलित मात्रा लोहे में जंग का कारण बनती है। यह स्थिति पानी की अशुद्धता का भी संकेत देता है।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के मैटीरियल साइंस मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर अंकुर कटियार के दिशा निर्देश में अंतिम वर्ष के छात्र अभिषेक यादव, अक्षत गुप्ता व जिज्ञासा वर्मा ने पहली बार शोध अध्ययन में पाया है कि लोहे में जंग लगने का कारण पानी में पीएच (क्षार), टोटल डिजॉल्वड सॉलिड (टीडीएस) काफी ज्यादा और घुलित ऑक्सीजन कम होना भी है। उनके शोध को इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ मॉर्डर्ननाइजेशन इन इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी एंड साइंस में स्थान मिला है।
पीनी में कम पीएच से लगता जंग
जंग लगने के कारण व उससे बचाव पर हुए इस शोध में पाया गया कि लोहे में जंग लगने के पीछे पानी के हानिकारक तत्व होते हैं। पानी का समय-समय पर परीक्षण कर जलापूर्ति के पाइप को जंग लगने से बचा सकते हैं। पानी में पीएच 0.0 से 2.0 के बीच होने पर जंग लगने का खतरा सर्वाधिक रहता है जबकि 6.0 से 9.0 तक रहने से प्रभाव बहुत कम पड़ता है। टोटल डिजॉल्वड सॉलिड (टीडीएस) 10 हजार पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) से ऊपर होने पर धातु गलने लगती है। इसकी मात्रा एक हजार से कम होनी चाहिए। डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन की मात्रा 8.0 से 12 के बीच लोहे के लिए अच्छी होती है।
कम कार्बन वाले लोहे का इस्तेमाल बेहतर
असिस्टेंट प्रोफेसर अंकुर कटियार ने बताया कि प्रयोगात्मक रूप से यह भी साबित किया है कि पानी की सही गुणवत्ता के साथ 0.25 फीसद से कम कार्बन वाले लोहे का इस्तेमाल करके जंग से बचा जा सकता है। अहम है कि डिजॉल्वड ऑक्सीजन और पीएच की यह मात्रा पीने के पानी के लिए भी बेहतर होती है। मानक के अनुसार टीडीएस 00 से कम होना चाहिए।
- शोध में पाया गया कि लंबे समय तक पानी को माइल्ड स्टील में रखने पर उसकी गुणवत्ता प्रभावित होने लगती है, जिसके फलस्वरूप टीडीएस बढ़ जाता है। –अंकुर कटियार, असिस्टेंट प्रेफेसर, सीएसजेएमसू