नई दिल्ली : आजाद भारत के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने वाले हमारे महान नेताओं में भारतीय गणतंत्र के प्रति कितना गहरा सम्मान था, ये देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुड़ा ये किस्सा बताता है।
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जानकारी के अनुसार यह किस्सा 60 के दशक का है जब डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति थे। वे हर साल 26 January को आने वाले गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति की है सियत से सलामी लेते और देश के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक उत्सव की खुशियां देशवासियों के साथ बांटते। मगर 1960 में एक अनहोनी हो गई।
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धीरे-धीरे सुबह का समय होने लगा लेकिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद पलभर के लिए भी वहां से नहीं हटे। रात के आखिरी पहर में घर के सदस्य ने उन्हें स्मरण कराया कि ‘सुबह 26 January है और आपको देश का राष्ट्रपति होने के नाते गणतंत्र दिवस परेड की सलामी लेने जाना होगा।’ इतना सुनते ही उनकी चेतना जाग्रत हो गई और पलभर में सार्वजनिक कर्त्तव्य ने निजी दुख को मानो ढंक लिया।
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