उत्तराखंड में आज से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के मार्गों पर करीब 200 संवेदनशील भूस्खलन जोन यात्रियों व पर्यटकों के धैर्य की परीक्षा लेंगे। लोनिवि ने इन संवेदनशील स्थलों को चिन्हित कर लिया है, लेकिन इनके सुधारीकरण में अभी समय लगेगा। इनमें से 142 की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) विभाग को प्राप्त हो चुकी है, जिनमें से 114 को स्वीकृति मिल चुकी है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ये सभी भूस्खलन क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्गों पर हैं, जो चारधाम यात्रा मार्ग से सीधे और वैकल्पिक मार्गों के तौर पर जुड़े हैं। इनमें सबसे अधिक 60 भूस्खलन क्षेत्र टनकपुर से पिथौरागढ़ के बीच हैं। इन सभी स्थलों के उपचार और सुधारीकरण के लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है और इनमें से 60 डीपीआर पर काम शुरू करने को मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके बाद ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे अधिक 47 भूस्खलन जोन हैं। इनमें से 42 की डीपीआर तैयार हो चुकी है और 23 को मंजूरी भी मिल चुकी है। इनमें से कुछ पर काम शुरू हो चुका है।
इसके अलावा धरासु बैंड से फूलचट्टी के बीच एनएच पर 46 संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्र हैं। इनमें से 20 की डीपीआर विभाग को प्राप्त हो चुकी है और इन सभी को स्वीकृति भी दे दी गई है। इसके अलावा चमोली से कुंड, हरबर्टपुर से बड़कोट बैंड, कोटद्वार से सतपुली मार्ग पर भी एक दर्जन से अधिक संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं, जिनकी डीपीआर अभी तैयार नहीं हो पाई है। यात्रा के दौरान हल्की बारिश में भी ये संवेदनशील भूस्खलन क्षेत्र यातायात के बाधित होने की वजह बन सकती है। लोनिवि की ओर से इन सभी संवेदनशील स्थलों पर मार्ग को निर्बाध बनाए जाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
संवेदनशील लैंड स्लाइड डीपीआर मिली स्वीकृत
ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग- 47
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड- 26
चमोली से कुंड 06
धरासु बैंड से फूलचट्टी 46
हरबर्टपुर से बड़कोट बैंड 09
कोटद्वार सतपुली-श्रीनगर 02
जुलीकोट-खेरना-रानीखेत- 02
टनकपुर से पिथौरागढ़ 62
कुल 200
रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड- 26
चमोली से कुंड 06
धरासु बैंड से फूलचट्टी 46
हरबर्टपुर से बड़कोट बैंड 09
कोटद्वार सतपुली-श्रीनगर 02
जुलीकोट-खेरना-रानीखेत- 02
टनकपुर से पिथौरागढ़ 62
कुल 200