अमेरिका में काम के लिए एच-1बी (H-1B) वीजा मिलने में दिक्कतों आ रही हैं. वहां के दीर्घकालिक वीजा के लिए 10 साल से भी अधिक लंबा इंतजार करना पड़ता है. इसे देखते हुए आव्रजन मामलों के एक्सपर्ट एक अमेरिकी वकील की सलाह है कि अमेरिकी ग्रीन कार्ड हासिल करने की आकांक्षा रखने वाले भारतीय परिवारों को ईबी-5 (EB-5) वीजा पर दाव लगाना चाहिए.

ईबी-5 वीजा सबसे अच्छा
वान डे किर्बी ने बताया कि उद्यमशील भारतीयों के लिए ईबी-5 वीजा सबसे अच्छा है. बशर्ते वे अमेरिका में एक न्यूनतम निवेश करने को तैयार हों. इससे उन्हें उनके पति अथवा पत्नी तथा 21 वर्ष से कम के बच्चों के लिए ग्रीन कार्ड मिल सकता है.
किर्बी की विधि सेवा कंपनी ईबी-5 वीजा के 1300 मामले देख चुकी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका में निवेश करने वालों को ईबी-5 वीजा देने का कार्यक्रम आगामी 30 सितंबर को खत्म होने वाला है. इससे पहले इसके लिए आवेदक अब तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
करना होगा न्यूनतम पांच लाख डालर का निवेश
वीजा एजेंसी ने लोगों को धोखेबाजों से सावधान रहते हुए हर कदम सोच समझा कर बढ़ाने की सलाह दी है. और निवेश के मामले में अमेरिकी शेयर बाजार विनियामक प्रतिभूति एवं एक्सचेंज आयोग से लाइसेंस प्राप्त प्रतिभूति प्रतिनिधियों से सही संपर्क करने का सुझाव दिया है. इस योजना के तहत व्यक्ति को अमेरिका में न्यूनतम पांच लाख डालर का निवेश करना होगा.
एच-1बी वीजा पर कड़ाई को लेकर भारत चिंतित
गौरतलब है कि अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात में फिलहाल एच-1बी वीजा का मुद्दा नहीं उठा है. करीब 40 लाख भारतीय-अमेरिकी अमेरिका में रह रहे हैं और 7,00,000 अमेरिकी नागरिक भारत में रहते हैं. पिछले साल अमेरिकी सरकार ने करीब 10 लाख वीजा भारतीय नागरिकों को जारी किया और 17 लाख भारतीय नागरिकों के अमेरिका यात्रा को सुगम बनाया.
एच-1बी वीजा पर कड़ाई को लेकर भारत में चिंता बढ़ी है. ट्रम्प ने एच-1बी वीजा से जुड़े नियमों को कड़ा करने और उसका दुरूपयोग रोकने के लिये अप्रैल में कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किये. राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार अमेरिकियों को नियुक्त करो की नीति लागू करने जा रही है जिसे अमेरिका में रोजगार तथा वेतन सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है.
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