चीन की आधिकारिक मीडिया ने सोमवार को भारत की ओर से मंगोलिया को दिये गये एक अरब अमेरिकी डॉलर की आर्थिक सहायता को ‘घूस’ बताया है। चीनी मीडिया के मुताबिक चीन और नेपाल के बीच कार्गो सेवा को अगर भारत अपने माल की बिक्री के खतरे के रूप में देखता है या उसका विरोध करता है तो भारत का यह नजरिया दोनों देशों के रिश्ते को लेकर एक ‘अंतहीन समस्या’ बन सकता है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने अखबार में जोर देकर कहा कि चीन ने तिब्बती धर्म गुरू दलाईलामा की उलानबटोर की यात्रा के बाद नाकेबंदी कर दी थी जिसके बाद मंगोलिया ने प्रत्यक्ष रुप से भारत से मदद की गुहार लगाई थी। जिसके बाद भारत ने मंगोलिया को साल 2015 में एक बिलियन डॉलर के आर्थिक मदद की पेशकश की थी।
मंगोलिया की अर्थव्यवस्था 90 प्रतिशत तक चीन पर निर्भर है। ऐसे में वहां की अर्थव्यवस्था पर चीन का प्रभाव त्वरित रूप से भारत द्वारा समाप्त किया जाना असंभव है इसलिए एक अरब डॉलर की घूस देकर भी भारत के प्रयास बेकार जाएंगे।
गौरतलब है कि पिछले साल मई में पीएम नरेंद्र मोदी की मंगोलिया यात्रा के दौरान भारत ने मंगोलिया को इस सहायता की पेशकश की थी। बता दें कि पिछले हफ्ते ही इस अखबार में एक और आर्टिकल छपा था जिसमें मंगोलिया को धमकाते हुए कहा गया था, भारत से मदद मांगकर चीन मंगोलिया के संबंध और जटिल हो सकते हैं और हमारा मानना है कि वित्तीय संकट से जूझता देश इससे सबक लेगा।
गौरतलब है कि पिछले साल मई में पीएम नरेंद्र मोदी की मंगोलिया यात्रा के दौरान भारत ने मंगोलिया को इस सहायता की पेशकश की थी। बता दें कि पिछले हफ्ते ही इस अखबार में एक और आर्टिकल छपा था जिसमें मंगोलिया को धमकाते हुए कहा गया था, भारत से मदद मांगकर चीन मंगोलिया के संबंध और जटिल हो सकते हैं और हमारा मानना है कि वित्तीय संकट से जूझता देश इससे सबक लेगा।
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