चीन के कश्मीर में सकारात्मक भूमिका निभाने संबंधी बयान को कोई तवज्जो नहीं देते हुए भारत ने चीन को सीधा जवाब दिया है. भारत ने कहा कि भारत की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है, द्विपक्षीय ढांचे में जम्मू-कश्मीर समेत सभी मुद्दों पर पाकिस्तान से बातचीत करने के भारत के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है.’’ भारत ने कहा कि इसमें किसी भी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि मामले के मूल में सीमापार से भारत में फैलाया जा रहा आतंकवाद है और एक खास स्रोत से फैलाये जा रहे आतंकवाद से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो गया है.
आपको बता दें कि चीन ने बुधवार को कहा था कि वह कश्मीर पर भारत व पाकिस्तान के संबंधों को सुधारने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है, जहां के हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. लेकिन, चीन ने सोमवार को कश्मीर में अमरनाथ यात्रा के तीर्थयात्रियों पर हुए आतंकवादी हमले पर कुछ नहीं कहा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, “कश्मीर के हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का काफी ध्यान खींचा है.” डोकलाम क्षेत्र में भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस वक्त हम केवल यही कह सकते हैं कि राजनयिक चैनल खुले हुए हैं और उनका पहले की तरह से उपयोग जारी रहेगा. उन्होंने कहा था कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हैम्बर्ग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच एक संवाद हुआ था जिसमें कई विषयों पर चर्चा हुई.
गौरतलब है कि डोकलाम के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच तनातनी का माहौल है. इस दौरान चीन की तरफ से लगातार उकसावे वाले बयान आ रहे हैं. इससे पहले चीन के एक सरकारी अखबार के संपादकीय में सीधे-सीधे धमकी देते हुए लिखा गया था कि इससे पहले कि हालात और बिगड़ जाएं और भारत को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ें वो डोकलाम से अपने सैनिक हटा ले. अखबार लिखता है कि बीजिंग अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता के मामले में किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेगा.
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